टूटने लगा अगवा परिजनों के सब्र का बांध

जसीडीह: हथियारबंद नक्सलियों द्वारा जसीडीह के खोरीपानन पंचायत अंतर्गत बोढ़निया गांव स्थित डढ़वा नदी पर पुल निर्माण करा रहे केके बिल्डर्स के अगवा सात कर्मियों के पांच दिन बित जाने के बाद भी कंपनी व पुलिस प्रशासन द्वारा अपहृत के हाथों से छुड़ा कर नहीं ला पाये हैं. इससे परिजनों के सब्र का बांध अब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 27, 2013 10:39 AM

जसीडीह: हथियारबंद नक्सलियों द्वारा जसीडीह के खोरीपानन पंचायत अंतर्गत बोढ़निया गांव स्थित डढ़वा नदी पर पुल निर्माण करा रहे केके बिल्डर्स के अगवा सात कर्मियों के पांच दिन बित जाने के बाद भी कंपनी व पुलिस प्रशासन द्वारा अपहृत के हाथों से छुड़ा कर नहीं ला पाये हैं.

इससे परिजनों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है. कंपनी में कार्यरत व अगवा जसीडीह थाना क्षेत्र के सिगदारडीह गांव के नुन्देव यादव,जेठूटाड़ गांव के अनुज कुमार चौधरी व बोढ़निया गांव के राजेश यादव के परिजनों को सोमवार से ही सबों के घर वापस सकुशल लौटने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन चार दिन बीत जाने के बाद भी अगवा लोगों के बारे में किसी प्रकार की कोई सूचना परिजनों को नहीं मिलने से सब्र का बांध टूट गया है. इन लोगों को अब अगवा लोगों को छुड़ाने में कंपनी के रवैया व पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर से उम्मीद डगमगाने लगा है. परिजन हताश व निराश हो अब खाना-पीना छोड़ जान गंवाने पर उतारू हो गये हैं.

बेटवा के फोनवो नय आवे हो मइया
अगवा राजेश यादव की मां-पिता व भाई- बहन, परिजनों को रोते-रोते आंख से आंसू मानो सूख गया है. मां देवयंती देवी बिलखते हुए कहती है बेटवा के फोनवो नय आवे हो मइया. अब बाबू,मइया व बहिनिया के के कपड़ा लायके देते हो बेटवा.बहिनिया भइया के खोजे हे हो भगवान. मां की इस विलाप से पूरा वातावरण गमगीन हो जाता है. वह कं्रदन के दौरान बार-बार बेटा को ले जाने वाले से प्रार्थना कर छोड़ देने का अनुरोध भी करती है.

हमर अदमिया कहां चल गेले हो बाबू
अगवा नुन्देव यादव की पत्नी संगीता देवी ने खाना-पीना छोड़ पत्थर की बूत बन गयी है. जब उससे कोई कुछ पूछता है तो रोते हुए कहती है हमर अदमिया कहां चल गेले हो बाबू, हमर अदमिया के कोय घरा लाय दे हो मइया. अब रही रही करेजवा फाटे हे हो, केकरा देखी रहबे हो बाबू. संगीता के इस क्रंदन से परिजन सहित ग्रामीणों के आंखों से आंसू छलक पड़ता है. वहीं नुन्देव के बच्चे भी बाबू-बाबू कर रोने लगती है.

पांच दिन बीत गेले नय अयले बेटवा
अगवा अनुज कुमार चौधरी की मां मालती देव्या का अब सब्र बांध टूट गया है. वह रोते-रोते कहती है पांच दिन बीत गेले नय अयेले बेटवा. केकरा देखी करबे भरोसा. कंपनिया वाला भी नय कुछ कर रहले, बेटवा घरा नय अयेले तो हम फांसी लगाय के मरी जयबे. बड़ी जतन से बेटवा के पोयलीय हो बाबा.

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