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By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 12:00 AM

2012-14 के बीच 27 योजनाओं पर हुआ कामदो दर्जन गांवों में जलापूर्ति योजना फेलफोटो संख्या-7,8मधुपुर. पेयजल व स्वच्छता विभाग ग्रामीण व शहरी जलापूर्ति योजना पर प्रत्येक वर्ष करोड़ों खर्च कर रही है. लेकिन इतने खर्च के बाद भी धरातल पर इसका बेहतर परिणाम नजर नहीं आ रहा है. पेयजल व स्वच्छता प्रमंडल मधुपुर द्वारा वित्त वर्ष 2012 से 14 के बीच तकरीबन 27 योजना पर काम किया गया. योजना पूर्ण तो हुआ लेकिन इसका लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है. वर्तमान में तकरीबन दो दर्जन गांवों में जलापूर्ति योजना महीनों से बंद है. किन-किन गांवों में चालू हुई योजनामिनी ग्रामीण पेयजल आपूर्ति के तहत गोनैया, कुर्मीडीह, गडिया, जाभागुढी, सरपता, मारनी, दुधानी, भलगढा, बिराजपुर, सधरिया, केराबांक, बारा, बसहाटांड, दसियोडीह, बरदुबा, सबैजोर, पलमा, लकडखंदा, सिमरातरी, जमुआसोल, बगजोरिया, पालोजोरी, कसरायडीह, बेदगांवा नावाडीह, चलबली, गोनियासोल, महुआडाबर व कंगडो गांव में पेयजल आपूर्ति योजना चालू हुई. योजना पर करोड़ों खर्च प्रत्येक गांवों में जलापूर्ति योजना पर आबादी के अनुसार न्यूनतम आठ लाख से 17 लाख तक राशि खर्च किया गया है. कहीं बिजली से तो कहीं सोलर से मोटर में कनेक्शन देकर जलापूर्ति योजना प्रारंभ किया गया. प्रति अदद सोलर प्लेट पर 3.40 लाख खर्च किया गया. लेकिन सभी योजना तकरीबन छह माह से साल भर तक चला उसके बाद बंद हो गया. क्यों फेल हो गयी योजनापेयजल आपूर्ति विभाग ने योजना निर्माण के बाद एक साल तक रख-रखाव का जिम्मा संबंधित संवेदक को दिया. इसके बाद मुखिया या ग्रामीण समिति को योजना सुपूर्द करना था. लेकिन अधिकतर ग्रामीण व मुखिया ने योजना को अपने अधीन लेने से इनकार कर दिया. जिस कारण अधिकतर योजना एक निर्धारित समय के बाद बंद पड़ गयी. कई जगह से लाखों की सोलर प्लेट भी चोरी हो गयी तो कहीं एक वर्ष पूर्व आये चक्रवाती तूफान में पानी टंकी को ही उड़ा दिया. इन जगहों में चल रहा कामपेयजल आपूर्ति विभाग द्वारा चितरा में करीब 32 करोड़ की लागत से योजना पर काम किया जा रहा है. वहीं करौं, अलकवारा, बभनगांवा व गोविंदपुर में तकरीबन 6-6 करोड़ की लागत से ग्रामीण जलापूर्ति योजना पर काम चल रहा है.कहते हैं कार्यपालक अभियंताकार्यपालक अभियंता शिव नाथ सिंह गंजु ने कहा कि कहीं भी ग्रामीण और मुखिया योजना को अपने अधीन नहीं ले रहे हैं. जिस कारण एक समय के बाद रख-रखाव के अभाव में योजना बंद पड़ जा रहा है. इससे विभाग को ही परेशानी हो रही है.

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