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बिग इश्यू000पुरस्कृत पंचायत में अब भी खुले में जाते हैं शौचफ्लैग : 100 प्रतिशत खुले में शौच मुक्त पंचायत का हाल-सरकार द्वारा पुरस्कृत पंचायत के लोग भी खुले में जाते हैं शौच-शौचालयों की स्थिति जर्जर, पानी के अभाव में बेकार पड़े हैं शौचालय प्रतिनिधि 4 बासुकिनाथएक अप्रैल को जरमुंडी प्रखंड के पेटसार पंचायत को खुले […]

बिग इश्यू000पुरस्कृत पंचायत में अब भी खुले में जाते हैं शौचफ्लैग : 100 प्रतिशत खुले में शौच मुक्त पंचायत का हाल-सरकार द्वारा पुरस्कृत पंचायत के लोग भी खुले में जाते हैं शौच-शौचालयों की स्थिति जर्जर, पानी के अभाव में बेकार पड़े हैं शौचालय प्रतिनिधि 4 बासुकिनाथएक अप्रैल को जरमुंडी प्रखंड के पेटसार पंचायत को खुले में शौचमुक्त पंचायत के रूप में मुखिया मालती देवी को पुरस्कृत किया गया है. जबकि पेटसार पंचायत की धरातलीय स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है. आज भी पंचायत के अधिकांश ग्रामीण महिलाएं व पुरूष खुले में शौच जाने को विवश हैं. अभियान के तहत शौचालय तो बना दिया गया लेकिन वहां न तो पानी की व्यवस्था है और न ही शौचालयों में ढंग से दरवाजे लगाये गये हैं. इस तरह शौचालय निर्माण में अनियमितता बरती गयी है. ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी लोग शौचालय के महत्व को नहीं समझ पाये हैं. शौचालय का उपयोग लोग समान रखने में भी करते हैं. पानी की घोर आभावपेटसार पंचायत के विभिन्न गांवों में पानी का घोर आभाव है. कई चापानल खराब पड़े हैं. शुद्ध पेयजल के लिए लोग परेशान है. सुबह होते ही सबसे पहले पीने का पानी दूर से डब्बे में भरकर लाया जाता है. प्रधान गोपीनाथ ओझा ने बताया कि चापानल काफी देर चलाने के बाद आधा बाल्टी पानी निकलता है. विभाग से इस संबंध में कई बार कहा गया लेकिन कर्मियों की उदासीनता के कारण चापानल ठीक नहीं होता. हलांकि गरमी के इस मौसम में जलस्तर नीचे चले जाने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. अधिकांश लोग शौचालय का नहीं करते हैं उपयोगग्रामीणों की मानें तो पेटसार पंचायत के अधिकांश महिलाएं व पुरूष घर में बने शौचालय का उपयोग नहीं करते हैं. 2,655.62 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला पेटसार पंचायत में नौ गांव असवारी, कोरडीहा, बेलटिकरी, कुरमकिता/तारणी, सुखजोरा, कनकटा, कुंजबोना, बेगनथरा एवं पेटसार गांव की कुल आबादी 6 हजार 868 है. जिसमें अनुसूचित जाति 705, अनुसूचित जनजाति 1,035 एवं अन्य जाति की आबादी 5 हजार 128 है.——————–शौचमुक्त पंचायत को लेकर पंचायत के लोगों ने अलग-अलग विचार दिये घर में शौचालय तो बनाया गया है लेकिन पानी की व्यवस्था नहीं है, पानी लेकर खुले में शौच जाते हैं. – ब्रदी दास , ग्रामसमूचे पंचायत में घर-घर शौचालय नहीं बना है. शौचमुक्त पंचायत की घोषणा सही नहीं प्रतीत होता है. जांच होनी चाहिए. -सुशील कुमार ओझा, ग्रामीणशौचालय निर्माण पूर्ण नहीं हुआ है, टंकी नहीं बनाया गया है, इसको बनाने में सिर्फ ठेकेदारी हुई है. -श्रीपति दास, ग्रामीणशौचालय उपयोग के प्रति ग्रामीणों में जागरूकता का घोर आभाव है, पानी के आभाव भी एक बड़ी समस्या है. -चिंता देवी, ग्रामीण महिलाशौचालय पूर्ण नहीं हुआ है, सोखा नहीं बनाया गया, गेट भी नहीं लगा, खुले में शौच जाना विवशता है. -कौशल्या देवी, ग्रामीण महिलामेरे पति के नाम से दूसरे के घर आंगन में शौचालय बना दिया गया है, मजबूरन खुले में शौच जाते हैं. -सिबरतिया देवी, ग्रामीण महिलाघर में पानी की बहुत दिक्कत है, पीने का पानी दूर से लाते हैं, खुले में शौच जाते हैं. -बसंती देवी, ग्रामीण महिलाशौचालय का उपयोग नहीं करते हैं, बिचौलिया द्वारा शौचालयों का घटिया तरीके से निर्माण कराया गया है. -चंद्रमा देवी, ग्रामीण महिला————फोटो-3 बासुकिनाथ शौचालय, शौच को जाती महिलाएं, बिना गेट व समान रखा शौचालय एवं लोगों का फोटो

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