तीन दिन में एक दिन मिल रहा पानी

पेयजल संकट : नदी में पानी नहीं, जलस्तर नीचे गया, नंदन लेक भी सूखा देवघर : अगले कुछ दिनों में देवघर में पेयजल संकट और गहराने वाला है. स्थिति अलार्मिंग होने वाली है. नदियों का जल स्तर नीचे चले जाने के कारण जलापूर्ति पर संकट आ गया है. देवघर शहर को अजय नदी स्थित नवाडीह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 17, 2016 8:32 AM
पेयजल संकट : नदी में पानी नहीं, जलस्तर नीचे गया, नंदन लेक भी सूखा
देवघर : अगले कुछ दिनों में देवघर में पेयजल संकट और गहराने वाला है. स्थिति अलार्मिंग होने वाली है. नदियों का जल स्तर नीचे चले जाने के कारण जलापूर्ति पर संकट आ गया है. देवघर शहर को अजय नदी स्थित नवाडीह घाट, डढ़वा नदी, नंदन लेक से पानी मिलता है, लेकिन भीषण गर्मी व तपिश के कारण नदियों का जल स्तर काफी नीचे गया है.
यही कारण है कि डढ़वा नदी का जल स्रोत तकरीबन 10 से 12 फीट नीचे चला गया है. सबसे अधिक जलापूर्ति अजय नदी स्थित नवाडीह घाट से होती है. लेकिन इस नदी से जलापूर्ति की स्थिति काफी भयावह है. पीएचइडी सूत्रों के अनुसार नवाडीह संप में 24 घंटे में दो-ढ़ाई घंटे ही पानी संप में जमा होता है.
इससे लगभग दो घंटे ही जलापूर्ति होती है. वहीं जोन टू जलापूर्ति योजना के संप में छह घंटा पानी जमा होने पर एक घंट सप्लाई हो पाती है. तीसरा स्रोत है जलापूर्ति का नंदन लेक. यह भी लबालब भरा रहता था लेकिन इसकी स्थिति भी अलार्मिंग है. यदि अगले एक महीने इतनी ही प्रचंड गरमी रही तो लेक पूरा का पूरा सूख जायेगा. तब शहर में इन संप से पानी की आपूर्ति भी ठप हो जायेगी. देवघर नगर निगम क्राइसिस वाले इलाके में सूचना मिलने पर टेंकर से जलापूर्ति करा रहा है.
पुनासी जलाशय योजना बनने से ही जल संकट का होगा समाधान
प्रदीप बाजला
जल ही जीवन है, लेकिन जल संकट लोगों के सामने आ रहा है. इसे एक चुनौती के तौर पर लेनी चाहिए. वैसे तो यह विश्व के परिप्रेक्ष्य में उठ खड़ा हुआ है. जहां तक देवघर जिला में जल संकट समाधान की बात पर गौर करें तो कई इलाके ड्राय जोन में तब्दील हो रहा है.
इसका एक मात्र कारण है जल संचयन का आभाव. वर्षा का जल संचयन करें तभी जल संकट का स्थायी समाधान हो सकता है. सरकार द्वारा स्वीकृत पुनासी जलाशय योजना का कार्य कई दशकों से चला आ रहा है. इस डैम के बन जाने और नहरों में शहर के इर्द गिर्द पानी प्रवाह होने से जल संकट रूपी कष्टों से लोगों को निजात मिल सकती है. पहले शहर में पानी संचयन के लिए कई बड़े बड़े तालाब हुआ करते थे, आज तालाबों की संख्या घटती जा रही है.
तालाबों का जीर्णोद्धार करने तथा हर घर में वाटर हार्वेस्टींग की व्यवस्था होने से जल संकट खत्म हो सकता है. इस दिशा में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है.जलस्रोतों का दोहन हर जगह हो रहा है, इसे रोकने की दिशा में पहल हो एवं सरकार की योजना नदियों को जोड़ने की अमल हो. बढ़ती आबादी के सामने जल संकट न हो इसके लिए जल संचयन समय की मांग है.
(लेखक झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष (संप प्रक्षेत्र) सह देवघर चेंबर के संरक्षक हैं.)

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