विस्थापितों ने बंद कराया कृषि महाविद्यालय का काम

बंदोबस्ती जमीन का मुआवजा मिलेगा तभी होगा कार्य देवघर : मोहनपुर स्थित बैजनडीह मौजा में रवींद्रनाथ टैगोर कृषि महाविद्यालय का कार्य शनिवार को विस्थापितों ने बंद करा दिया. विस्थापितों ने प्रशासन पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया. इस दौरान प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ नारेबाजी हुई. आठ माह पूर्व विस्थापितों ने बाउंड्रीवॉल का कार्य बंद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2014 6:11 AM

बंदोबस्ती जमीन का मुआवजा मिलेगा तभी होगा कार्य

देवघर : मोहनपुर स्थित बैजनडीह मौजा में रवींद्रनाथ टैगोर कृषि महाविद्यालय का कार्य शनिवार को विस्थापितों ने बंद करा दिया. विस्थापितों ने प्रशासन पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया.

इस दौरान प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ नारेबाजी हुई. आठ माह पूर्व विस्थापितों ने बाउंड्रीवॉल का कार्य बंद कर लाल झंडा गाड़ दिया था लेकिन एक सप्ताह पहले धड़ल्ले से कार्य चालू कर दिया गया. इसकी सूचना मिलने पर विस्थापित आक्रोशित हुए व पुन: शनिवार को लाल झंडा गाड़ पूरे कृषि महाविद्यालय का कार्य बंद करा दिया.

विस्थापितों का मांग है कि रैयती जमीन के अलावा 73 एकड़ बंदोबस्त जमीन का मुआवजा देने के बाद ही काम चालू होने दिया जायेगा. विस्थापितों ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि 16 जनवरी से सारे विस्थापित महाविद्यालय परिसर में धरने पर बैठेंगे.

विस्थापितों को धोखे में रखा गया

कार्य बंद कराने आये विस्थापितों में टुकनारायण यादव, शत्रुघन मंडल, महेंद्र यादव व योगेंद्र यादव आदि कहना है कि डीसी राहुल पुरवार द्वारा बंदोबस्त जमीन में खेती व धानी किस्म की जमीन का मुआवजा देने का आश्वासन दिया गया था. इसके आलोक में तत्कालीन एसडीओ उमाशंकर सिंह ने जांच भी की थी.

एसडीओ ने डीसी से मार्गदर्शन मांगा. लेकिन कई माह बीतने के बाद डीसी से जब हमलोग मिले उन्होंने आयुक्त से मार्गदर्शन मांगने की बात कही. इसी बीच विस्थापितों को धोखे में रख कार्य करवाया गया लेकिन मुआवजा नहीं दिया. विस्थापितों का कहना है कि अब सिर से पानी उपर चला गया है. मुआवजा दिलाने में जनप्रतिनिधियों ने भी रुचि नहीं दिखायी. विस्थापित अपना आंदोलन तेज करेगी.

मात्र दो रैयतों ने लिया जमाबंदी जमीन का मुआवजा

कृषि महाविद्यालय में 18 एकड़ रैयती जमीन भी है. लेकिन रैयती जमीन का भी मुआवजा मात्र दो रैयतों ने 26 लाख रुपया लिया. शेष मुआवजा राशि कोई रैयतों ने नहीं लिया. जबकि कदराकुरा व पोस्तवारी गांव के रहने वाले आदिवासी रैयतों ने तो मुआवजा का नोटिस भी लेने से इंकार कर दिया.

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