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छल-कपट से मुक्त हुए बिना शांति संभव नहीं

देवघर: छल-कपट से दूर रहने से ही शांति मिल सकती है. क्रोध व अहंकार की तरह मनुष्य के जीवन में छल-कपट भी व्याप्त है. मायाचारी के कारण मनुष्य सही काम नहीं कर पाता है. उक्त बातें पं संयम जैन ने कही. वह जैन मंदिर सभागार में आयोजित दशलक्षण पर्व पर प्रवचन दे रहे थे. उन्होंने […]

देवघर: छल-कपट से दूर रहने से ही शांति मिल सकती है. क्रोध व अहंकार की तरह मनुष्य के जीवन में छल-कपट भी व्याप्त है. मायाचारी के कारण मनुष्य सही काम नहीं कर पाता है. उक्त बातें पं संयम जैन ने कही. वह जैन मंदिर सभागार में आयोजित दशलक्षण पर्व पर प्रवचन दे रहे थे. उन्होंने बुधवार को आर्जव धर्म की खासियत पर प्रकाश डाल रहे थे. उन्होंने कहा कि जैन समाज में आर्जव धर्म का बहुत महत्व है. इस धर्म का विपरीत आशय मायाचारी, छल-कपट से है. इसके के कारण आदमी सोच के अनुसार काम नहीं कर पाता है. वह सोचना कुछ है. कहता कुछ है और करता कुछ और है.
उन्होंने कहा कि सुख और शांति बाहर से नहीं आती है. यह अपने भीतर ही है. अपने घर में प्रवेश पाने के लिए वक्रता या टेढ़ा पन को छोड़ना परम अनिवार्य है. वैसे ही हमें भी अपने जीवन में मैत्रीभाव धारण कर आर्जव धर्म अपना कर आत्मा का कल्याण करना चाहिए. जैन धर्मावलंबी अपना महान पर्व दशलक्षण हर्षोल्लासपूर्वक मना रहे हैं. इस अवसर पर मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.

इससे मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. यहां अहले सुबह से ही भक्तों का आना शुरू हो जाता है. यह देर शाम तक रहता है. जैन मंदिर में सुबह साढ़े छह बजे भगवान का पक्षाल, अभिषेक, शांतिधारा व पूजा प्रारंभ की गयी. शाम सात बजे सामूहिक आरती की गयी. इसके उपरांत शास्त्र प्रवचन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम को सफल बनाने में डा आनंद जैन, चेतन जैन, अशोक जैन, पवन जैन,संतोष जैन, प्रेमचंद जैन, सीमा जैन, रीटा जैन, कीर्ति जैन आदि ने सराहनीय भूमिका निभायी.

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