सिंचाई बाधित, रेंजर से शो-कॉज

देवघर: संताल परगना में नयी सिंचाई योजनाएं वैसे भी विभागीय दाव-पेच की वजह से चालू नहीं हो पायी है, अब पुरानी योजनाओं पर भी आफत आ रही है. पहले तो पुनासी जलाशय जैसी बड़ी परियोजना में वन विभाग के क्लीयरेंस में हुई देरी की वजह से सांसद निशिकांत दुबे को हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2016 8:24 AM
देवघर: संताल परगना में नयी सिंचाई योजनाएं वैसे भी विभागीय दाव-पेच की वजह से चालू नहीं हो पायी है, अब पुरानी योजनाओं पर भी आफत आ रही है. पहले तो पुनासी जलाशय जैसी बड़ी परियोजना में वन विभाग के क्लीयरेंस में हुई देरी की वजह से सांसद निशिकांत दुबे को हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा, वही वन विभाग अब सारवां प्रखंड के 51 वर्ष पुरानी डहुआ वीयर सिंचाई योजना के मरम्मत कार्य को रोक दिया है. वन विभाग के रेंजर व वनपाल ने वन विभाग के अधीन जमीन होने का हवाला देते हुए 1965 में निर्मित हो चुके डहुअा वीयर के अब मरम्मत कार्य को रोक दिया है. साथ ही वन विभाग के नियमों के अनुसार एनओसी लेना जरुरी बताया है. इससे पांच माह से वीयर का मरम्मत कार्य बंद है. कार्य बंद होने से खरीफ मौसम में 50 हेक्टेयर में लगे फसलों में सिंचाई कार्य बाधित हो गया.
जल संसाधन विभाग के डहुअा वीयर के कार्यपालक अभियंता रामाकांत तिवारी ने नौ मई 2016 को वन विभाग के डीएफओ को पत्र लिखकर बताया है कि सारवां के रेंजर व वनपाल ने मौखिक रुप से डहुआ वीयर के मरम्मत कार्य को जोगिया टिकुर गांव के पास रोक दिया है. कार्यपालक अभियंता ने पत्र में कहा है कि डहुआ वीयर योजना 1965 में नौ किलोमीटर लंबी निर्मित हुई है. उक्त समय वन विभाग से एनओसी लेने का प्रावधान नहीं था, एनओसी का प्रावधान 1982 में लागू हुआ. ऐसी परिस्थिति में उक्त पुरानी योजना का केवल मरम्मत कार्य के दौरान ही राेकना उचित नहीं है. चूंकि पूर्व में ही नौ किलोमीटर लंबी वीयर बच चुकी थी. इसमें करीब 1.35 करोड़ से मरम्मत कार्य आठ किलोमीटर तक पूर्ण कर लिया गया है, सिर्फ एक किलोमीटर मरम्मत कार्य जोगिया टिकुर गांव में बांकी था, इसी क्रम में रेंजर व वनपाल ने मौखिक निर्देश से कार्य रोक दिया. कार्यपालक अभियंता ने इसकी सूचना डीसी को भी भेजी है.
कहते हैं अधिकारी
डहुआ वीयर योजना 1965 में नौ किलोमीटर लंबी निर्मित हुई थी. उक्त समय वन विभाग से एनओसी लेने का प्रावधान नहीं था, एनओसी का प्रावधान 1982 में लागू हुआ. ऐसी परिस्थिति में उक्त पुरानी योजना का केवल मरम्मत कार्य रेंजर व वनपाल ने मौखिक रुप से रोक दिया है. इससे 50 हेक्टेयर खरीफ फसल की सिंचाई बाधित हो गयी. हालांकि डीएफओ के स्तर अब टीम बनाकर एनओसी प्रक्रिया अपनायी जा रही है.
– रामाकांत तिवारी, कार्यपालक अभियंता, जल संसाधन
विभाग, देवघर
दिशा की बैठक में हुआ शो-कॉज
पिछले दिनों गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता में दिशा कमेटी बैठक में डहुआ वीयर का कार्य बंद होने संबंधित रिपोर्ट कार्यपालक अभियंता ने रखी. इस पर सांसद ने कड़ी नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि 51 वर्ष पुरानी सिंचाई जैसी महत्वपूर्ण योजना में मरम्मत कार्य को वन विभाग की एनओसी का हवाला देकर रोकना विकास कार्य को बाधित करना है. इस मामले में रेंजर से शो-कॉज पूछने का प्रस्ताव लिया गया व शो-कॉज भेजा गया. अगर योजना की देरी इसमें कार्यपालक अभियंता या रेंजर दोषी होंगे तो कार्रवाई होगी.

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