9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

महालया आज, कलश स्थापना एक को, दिन के 11.36 से 12.24 बजे तक अभिजीत मुहूर्त

देवघर: वाराणसी व बांग्ला पंचांग के अनुसार महालया 30 सितंबर को है. इसी दिन पितृ पक्ष का समापन हो जायेगा. गुरुवार रात्रि 3.20 बजे से अमावस्या लग गया, जो शुक्रवार की रात्रि शेष 04.21 बजे तक है. वहीं कलश स्थापना एक अक्टूबर को की जायेगी. महालया के दिन कई लोग घरों में चंडी पाठ भी […]

देवघर: वाराणसी व बांग्ला पंचांग के अनुसार महालया 30 सितंबर को है. इसी दिन पितृ पक्ष का समापन हो जायेगा. गुरुवार रात्रि 3.20 बजे से अमावस्या लग गया, जो शुक्रवार की रात्रि शेष 04.21 बजे तक है. वहीं कलश स्थापना एक अक्टूबर को की जायेगी. महालया के दिन कई लोग घरों में चंडी पाठ भी करते हैं. इसी दिन से लोग दुर्गा पूजा की भी तैयारी शुरू कर देते हैं. इस बार शारदीय नवरात्र 10 दिन का हो रहा है तथा 11वें दिन विजयादशमी होगी. पूजा को लेकर बाजार में पूजन सामग्री सहित कपड़ों की खरीदारी तेज हो गयी है. खरीदारी के लिए बाजार में भीड़ उमड़ रही है.
शारदीय नवरात्र एक अक्तूबर से शुरू हो रहा है. एक अक्तूबर को प्रात: 04.23 बजे से प्रतिपदा लग रहा है, जो रविवार को प्रात: 05.53 बजे तक रहेगा. इस दिन अभिजीत मुहूर्त दिन के 11.36 से 12.24 बजे के बीच है. कलश स्थापना के लिए यह बेहतर समय माना गया है. प्रात:काल कन्या लग्न मुहूर्त 05.44 से 06.53 तक है. यह समय भी कलश स्थापना के लिए अच्छा माना जाता है. यह बात कुकराहा के पंडित भगवान तिवारी ने कही. पंडितजी पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के शिष्य है. उन्होंने कहा कि मां की आराधना के लिए प्रात:काल का समय सबसे अच्छा माना गया है.
मां का आगमन व गमन घोड़ा पर
पंडित भगवान तिवारी ने बताया कि माता का आगमन घोड़ा पर होगा. इसका फल नृपनाशक यानि देश के शीर्ष नेतृत्व में परिवर्तन या संकट का योग दिखाता है. युद्ध तथा प्रजा के कष्ट की संभावना बताया गया है. वहीं माता का गमन भी घोड़ा पर होगा. इसका फल छत्र भंग यानि राज्य भय व युद्ध, सत्ता के शीर्ष नेतृत्व पर संकट या परिवर्त्तन का भय है. वहीं मिथिला पंचांग के अनुसार, मां का आगमन घोड़ा पर हो रहा है अौर गमन मुर्गा पर हो रहा है. हालांकि मां की आराधना पूरे दस दिनों तक होगी, जो भक्तों को शुभ फल प्रदान करेगी.
कलश स्थापना का विशेष महत्व
मां की आराधना में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. पंडित भगवान तिवारी ने बताया कि मां की आराधना शुरू करने से पूर्व सबसे पहले कलश में जल, गंगाजल, सर्वोषधि, दूर्वा, कुश, पंच पल्लव, सप्तमृतिका, कसैली, पंचरत्न, द्रव्य डालकर उस पर ढक्कन लगाकर ढक दें.ढक्कन में अक्षत डालकर उस पर नारियल एक कपड़े में लपेटकर रख लें और फिर उसकी पूजा कर लें. फिर इस मंत्र का जाप करें.
त्वत्प्रसादादिमं यज्ञं कर्तुमिह जलोदभव. सान्नध्यिं कुरु मे देव प्रसन्नो भव सर्वदा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें