पति समेत सास-ससुर को 10 साल की सश्रम सजा

करौं थाना के सिरसिया गांव में तीन साल पहले हुई थी घटना केस के सूचक हबीब करौं के रहनेवाले देवघर : करौं थाना क्षेत्र के सिरसिया गांव निवासी शहीदा बीबी की जहर देकर हत्या करने के मामले में अदालत ने तीन आरोपितों शहाबुद्दीन शेख, अब्दुल शेख व अबीरन बीबी को दोषी पाकर 10 साल की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2016 8:45 AM
करौं थाना के सिरसिया गांव में तीन साल पहले हुई थी घटना
केस के सूचक हबीब करौं के रहनेवाले
देवघर : करौं थाना क्षेत्र के सिरसिया गांव निवासी शहीदा बीबी की जहर देकर हत्या करने के मामले में अदालत ने तीन आरोपितों शहाबुद्दीन शेख, अब्दुल शेख व अबीरन बीबी को दोषी पाकर 10 साल की सश्रम सजा सुनाई है.
सेशन जज दो कृष्ण कुमार की अदालत द्वारा सेशन ट्रायल 18/15 की सुनवाई पूरी करने के बाद तीनों को दहेज हत्या का दोषी पाया गया तथा सभी अदालत में सजा सुनाई. कोर्ट ने मृतका के मासूम बच्चे के लिए विक्टिम कंपनसेशन एक्ट के तहत एक लाख रुपये पुनर्वासन के लिए देने का आदेश भी दिया. साथ ही आदेश की प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकार को भेजी जायेगी. सभी आरोपित करौं थाना के सिरसिया गांव के रहने वाले हैं, जबकि केस के सूचक हबीब शेख मधुपुर थाना के परसिया गांव के हैं. घटना तीन साल पहले घटी थी. इस मामले में अभियोजन पक्ष से अपर लोक अभियोजक ब्रह्मदेव पांडेय व बचाव पक्ष से विद्यासागर पांडेय व फणीभूषण पांडेय ने पक्ष रखा.
क्या था मामला
जिले के करौं थाना क्षेत्र के सिरसिया गांव निवासी शहीदा बीबी की जहर देकर तीन साल पहले हत्या कर दी गयी थी. मृतका के पिता हबीब शेखर ने घटना के संबंध में करौं थाना कांड संख्या 77/13 दर्ज कराया था, जिसमें पति शहाबुद्दीन शेख के अलावा अब्दुल शेख व अबीरन बीबी को आरोपित बनाया गया था. दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, घटना से तीन साल पहले शहीदा बीबी का निकाह शहाबुद्दीन शेख से हुआ था. निकाह के बाद दहेज में 50 हजार रुपये की मांग की गयी जिसे नहीं देने पर मारपीट कर जहर पिला दिया जिससे उनकी मौत हो गयी. मृतका के पिता रिक्शा चालक हैं.
इस मामले में अनुसंधान के बाद पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया, पश्चात मामले को ट्रायल के लिए भेजा गया. ट्रायल के दौरान अभियाेजन पक्ष से तकरीब आधा दर्जन गवाह दिये गये जो दोष सिद्ध करने में सफल हुए. आरोपितों के विरुद्ध भादवि की धारा 304 बी तथा 34 लगायी गयी थी.

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