पांच दिनों तक मां दुर्गा की आराधना काशी के विद्वान पंंडितों द्वारा की जायेगी. रिखिया की कन्या-बटुकों द्वारा भजन-कीर्तन से मां की आराधना होगी. अंतिम दिन सीता पंचमी को कन्या पूजन व राम-सीता विवाह होगा. अनुष्ठान में शामिल होने के लिए देश-विदेश केे हजारों भक्त रिखियापीठ पहुंच चुके हैं. स्वामी सत्यानंद जी प्रेरणा से इस महायज्ञ का मुख्य उद्देश्य सेवा, दान व प्रेम का संदेश को पूरी दुनिया में फैलाना है.
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रिखियापीठ में शतचंडी महायज्ञ कल से, तैयारी पूरी
रिखियापीठ: परमहंस स्वामी सत्यानंदजी की तपोेस्थली रिखियापीठ में शतचंडी महायज्ञ सह सीता कल्याणम् का शुुभारंभ 30 नवंबर से होगा. अनुष्ठान की तैयारी रिखियापीठ में पूरी हो चुकी है. 30 नवंबर को स्वामी निरंजनानंद व स्वामी सत्संगीजी द्वारा यज्ञ का ध्वजारोहण किया जायेेगा. मंत्राेच्चारण के बीच अरणी से अग्नि प्रज्जवलित कर महायज्ञ आरंभ किया जायेगा. पांच […]
रिखियापीठ: परमहंस स्वामी सत्यानंदजी की तपोेस्थली रिखियापीठ में शतचंडी महायज्ञ सह सीता कल्याणम् का शुुभारंभ 30 नवंबर से होगा. अनुष्ठान की तैयारी रिखियापीठ में पूरी हो चुकी है. 30 नवंबर को स्वामी निरंजनानंद व स्वामी सत्संगीजी द्वारा यज्ञ का ध्वजारोहण किया जायेेगा. मंत्राेच्चारण के बीच अरणी से अग्नि प्रज्जवलित कर महायज्ञ आरंभ किया जायेगा.
विदेेशी भी करेंगे देवी का पाठ
शतचंडी महायज्ञ में पांच दिनों तक पूरा रिखियापीठ देेवीमय होे जायेगा. विदेशी भक्त भी काशी के विद्वान पंडितों के साथ मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करेंगे. पांच दिनों तक भक्ति के अमृत रस में विदेेशी डूबे रहेंगे. इस यज्ञ में दान का विशेष महत्व रखा गया है. पांच दिनों तक रिखिया समेत आसपास के गरीबों व जरुरतमंदों को रोजगार के संसाधन उपलब्ध कराये जायेंगे. सोमवार को यज्ञ परिसर में कन्याओं द्वारा हवन व पाठ किया गया. इस अनुष्ठान में अमेरिका, स्पैन, इटली, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ग्रीस, बुुल्गारिया, जर्मनी, हंगरी, स्वीटजरलैंड, इंग्लैंड, सिंगापुुर, फ्रांस, नीरदलैंड, स्वीडन, यूके आदि देशों सेे भक्त के शामिल होंगे.
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