अजीतानंद ओझा होंगे 10वें सरदार पंडा

देवघर: सेशन जज-चार लोलार्क दुबे की अदालत ने बुधवार को देवघर के अतिचर्चित सरदार पंडा गद्दी विवाद में अपना फैसला सुना दिया. टाइटिल अपील संख्या 27/2013, अजीतानंद ओझा बनाम स्टेट ऑफ झारखंड मामले की सुनवाई पूरी करते हुए वादी अजीतानंद ओझा के पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट ने सिविल जज सीनियर डिवीजन प्रथम सुनील कुमार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 8, 2016 7:54 AM
देवघर: सेशन जज-चार लोलार्क दुबे की अदालत ने बुधवार को देवघर के अतिचर्चित सरदार पंडा गद्दी विवाद में अपना फैसला सुना दिया. टाइटिल अपील संख्या 27/2013, अजीतानंद ओझा बनाम स्टेट ऑफ झारखंड मामले की सुनवाई पूरी करते हुए वादी अजीतानंद ओझा के पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट ने सिविल जज सीनियर डिवीजन प्रथम सुनील कुमार सिंह की अदालत के फैसले को निरस्त कर दिया. इस फैसले के बाद अजीतानंद ओझा बाबा बैद्यनाथ मंदिर, देवघर के सरदार पंडा होंगे.
अदालत ने तय किया अधिकार क्षेत्र व सुविधाएं : न्यायालय ने अजीतांनद ओझा के अधिकार व कर्तव्य भी तय कर दिया है. अजीतानंदर का अधिकार व कर्तव्य पूजा पाठ तक ही सीमित रहेगा. उन्हें कोई भी वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार नहीं होगा.
श्राइन बोर्ड देगा मानदेय : सरदार पंडा संत का जीवन व्यतीत करेंगे, फलाहार करेंगे, निरामीष रहेंगे. सरदार पंडा को अपने कर्त्तव्य निर्वहन में जो धन की आवश्यकता होगी, उसकी जिम्मेदारी बाबा वैद्यनाथधाम/बासुकीनाथधाम एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी-2015 व श्राइन बोर्ड उठायेगी. सरदार पंडा के लिए मंदिर के भीतर आवास की व्यवस्था होगी व अन्य जरूरी सभी सुविधाएं दी जायेंगी. जरूरत पड़ने पर इलाज आदि का खर्च श्राइन बोर्ड उठायेगा. प्रत्येक माह मूल्य सूचकांक के अनुसार श्राइन बोर्ड मानदेय देगा, जिसका समय-समय पर महंगाई दर के अनुसार पुनरीक्षण किया जायेगा. बाबा बैद्यनाथधाम/ बासुकिनाथ धाम एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑडिनेंस-2015 द्वारा उन्हें विशिष्ट सम्मान का दर्जा प्राप्त होगा. वैद्यनाथधाम मंदिर की पूजा-अर्चना आदि में उनकी भी राय ली जायेगी.
अपीलकर्ता की ओर से एडवोकेट केशवचंद्र तिवारी तथा उतरवादी की ओर से राजकीय अधिवक्ता बालेश्वर प्रसाद सिंह, एडवोकेट मंगलानंद झा, प्रदीप कु़मार, उदय प्रसाद, अमरनाथ ठाकुर आदि ने पक्ष रखा. इसमें झारखंड सरकार समेत 19 लोगों को उतरवादी बनाया गया था.
1970 में हुआ था तत्कालीन सरदार पंडा का निधन
अंतिम सरदार पंडा भवप्रीतानंद ओझा का निधन 11 मार्च 1970 को हो गया था. उनके निधन के बाद ही उत्तराधिकार को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था. मान्य हल नहीं निकलने की स्थिति मामला अदालत पहुंचा. इसके बाद सालों तक कोर्ट में मामला लंिबत रहा.
46 साल पुराना है विवाद
बाबा बैद्यनाथ मंदिर में सरदार पंडा की गद्दी की दावेदारी के विरूद्ध सिविल जज सीनियर डिविजन प्रथम सुनील कुमार सिंह ने टाइटिल सूट संख्या 64/1970 अजीतानंद ओझा बनाम ज्ञानानंद ओझा व अन्य में 16 अगस्त 2013 को फैसला सुनाया था. इसमें प्लेंटीफ की दावेदारी को खारिज कर दी गयी थी. इस फैसले के विरुद्ध सेशन जज में अजीतानंद ओझा ने अपील दाखिल की. इसे सुनवाई के लिए सेशन जज चार की अदालत में भेज दिया गया जहां पर दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुनाया गया. अपील 17 जुलाई 2013 को दाखिल हुई थी.

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