90 दिनों में छटेंगे संशय के बादल !
देवघर : सरदार पंडा गद्दी विवाद में अभी पेच बाकी है. क्योंकि अभी भी एक पक्ष देवघर कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की तैयारी में है. यदि फैसले के विरुद्ध अपील की गयी तो मामला फिर फंस सकता है. इसलिए 90 दिनों में गद्दी विवाद में संशय के बादल छंटने की उम्मीद है. यदि […]
देवघर : सरदार पंडा गद्दी विवाद में अभी पेच बाकी है. क्योंकि अभी भी एक पक्ष देवघर कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की तैयारी में है. यदि फैसले के विरुद्ध अपील की गयी तो मामला फिर फंस सकता है. इसलिए 90 दिनों में गद्दी विवाद में संशय के बादल छंटने की उम्मीद है. यदि इस बीच सहमति बन गयी तो अजीतानंद ओझा सरदार पंडा की गद्दी संभालेंगे. यदि अपील हुआ और हाइकोर्ट ने लोअर कोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया तो अगले फैसले तक अजीतानंद ओझा सरदार पंडा इन वेटिंग रहेंगे.
वर्धमान हाईकोर्ट की रूलिंग बनी चुनौती का आधार : इस फैसले के विरुद्ध जो लोग अपील की तैयारी में हैं. वे वर्धमान हाईकोर्ट की रूलिंग का हवाला दे रहे हैं. उनका मानना है कि देवघर कोर्ट ने जो फैसला दिया है वह रूलिंग को दरकिनार करके दिया है. देवघर में सरदार पंडा गद्दी विवाद में दूसरी रूलिंग ही सही है. क्योंकि अंतिम सरदार पंडा नावल्द थे. ऐसी स्थिति में चुनाव के जरिए ही सरदार पंडा का चुना जाना बेहतर अॉप्शन बताया जा रहा है.
सहमति बनाने की भी हो रही कोशिश : उधर, मिली जानकारी के अनुसार सरदार पंडा गद्दी विवाद को सुलझाने के लिए कोर्ट के बाहर सहमति बनाने की भी कोशिश हो रही है. यह प्रयास किया जा रहा है कि इस मामले को और चुनौती न दी जाये. क्योंकि 46 साल बाद कोर्ट ने फैसला दिया है. अब यदि इसे पुन: चुनौती दी गयी तो मामला आने वाले कई सालों तक लटक सकता है. इसलिए पंडा समाज इस दिशा में प्रयासरत है.