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निगम ने लोगों पर डाला दोहरे टैक्स का बोझ

देवघर: देवघर नगर निगम हर मायने में अनोखा है. इसकी कार्यशैली निराली है. यूं कह सकते हैं कि नगर निगम झारखंड के अन्य नगर निगम से भिन्न है. अपनी नाकामी का बोझ देवघर की जनता पर लाद कर आय के स्रोत बढ़ाना चाहती है. एक तो पहले से ही होल्डिंग टैक्स निगम हर घर से […]

देवघर: देवघर नगर निगम हर मायने में अनोखा है. इसकी कार्यशैली निराली है. यूं कह सकते हैं कि नगर निगम झारखंड के अन्य नगर निगम से भिन्न है. अपनी नाकामी का बोझ देवघर की जनता पर लाद कर आय के स्रोत बढ़ाना चाहती है. एक तो पहले से ही होल्डिंग टैक्स निगम हर घर से वसूल रहा है. होल्डिंग टैक्स में सफाई, रोशनी, सड़क सहित अन्य सुविधाएं देना निगम का दायित्व है.

लेकिन अब देवघर नगर निगम एक अतिरिक्त कर का बोझ जनता पर डाल रही है. जिसे सुविधा शुल्क का नाम दिया गया है. कहा जा रहा है कि देवघर को स्मार्ट सिटी बनाना है. इसलिए आउट सोर्सिंग के जरिए सफाई होगी, इसके लिए सभी को सुविधा शुल्क देना होगा. जो सुविधा शुल्क निर्धारित किये गये हैं वह भी अधिक जान पड़ते हैं.

ठीक है शहर को साफ रखना हर शहरी का कर्तव्य और दायित्व है. यदि कोई कूड़ेदान रखने के बाद भी कूड़ा बाहर सड़क पर या अन्यत्र फेंकता है तो उस पर फाइन लगाना उचित है. विडंबना तो यह है कि शहर में जितने कूड़ेदान की जरूरत है, उतना भी कूड़ेदान निगम उपलब्ध नहीं करा पा रहा है. नालियां साफ नहीं हो पा रही है, नाली जाम के कारण दुर्गंध से कई मुहल्ले परेशान हैं. जबकि प्राय: लोग होल्डिंग टैक्स चुका रहे हैं.

महज 300 सफाई कर्मियों के भरोसे 1.50 लाख की शहरी आबादी है.देवघर नगर निगम बन गया लेकिन आज भी स्ट्रेंथ नगरपालिका का ही है. निगम ने जो विज्ञापन के जरिए देवघर शहर की जनता पर अतिरिक्त कर लगाया है, उसकी व्यापक प्रतिक्रिया है. कई लोग तो निगम के इस फैसले को कोर्ट में भी चुनौती देने की तैयारी में हैं.

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