आउटसोर्सिंग के नाम पर हो रहा है घोटाला : निशिकांत

देवघर: गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने ललमटिया कोलियरी में हुए भीषण हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर सीबीआइ जांच की मांग की है. उन्होंने अपने पत्र में इसीएल पर भ्रष्टाचार, अनियमितता आदि कई आरोप लगाया है. सांसद ने कहा है कि इसीएल प्रबंधन व कोयला उत्खनन का काम करा रही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2017 8:43 AM

देवघर: गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने ललमटिया कोलियरी में हुए भीषण हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर सीबीआइ जांच की मांग की है. उन्होंने अपने पत्र में इसीएल पर भ्रष्टाचार, अनियमितता आदि कई आरोप लगाया है. सांसद ने कहा है कि इसीएल प्रबंधन व कोयला उत्खनन का काम करा रही निजी कंपनियां कई तरह की अनियमितताओं में संलिप्त है.

कहा है कि राजमहल कोल ब्लाक की विभिन्न कोलियरी में इसीएल, निजी कंपनी व माफियाओं में लंबे समय से मिलीभगत है, जिसकी जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा है कि इसीएल के पास सारी सुविधाएं व संसाधन हैं, इनके बावजूद वह आउटसोर्सिंग के जरिये कोयला खनन करवा रहा है. सांसद ने पूछा है कि जो महालक्ष्मी कंपनी हादसे वाली कोलियरी में खनन करवा रही थी, हादसे के बाद उसकी जिम्मेदारी वह जवाबदेही क्या है ? उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कैसे तय होगी ? सांसद ने पत्र में कई अन्य गंभीर सवाल भी उठाये हैं. उन्होंने पत्र में साफ कहा है कि प्राइवेट कंपनियां मुनाफ के लिए अवैध खनन का कार्य कराती है.

दूसरे प्रदेशों के कामगारों को लगाकर कार्य कराया जाता है, लेकिन उसकी पूरी तरह से ख्याल नहीं रखा जाता है. उन्होंने इलाके की कोलियरी में स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने की मांग की है. कहा है कि संताल परगना राजमहल कोल ब्लॉक में समुचित प्रावधानों के तहत कोयला खनन के लिए संताल परगना कोल माइनिंग कंपनी लिमिटेड की स्थापना की जाये.

स्थानीय को मिले रोजगार

सांसद ने कहा कि हादसे के बाद स्थानीय लोगों का शव नहीं मिला. इससे यह साफ हो गया है कि प्राइवेट कंपनियां स्थानीय लोगों को नजरअंदाज करती है. इसलिए कोल इंडिया की तर्ज पर संताल परगना कोल माइनिंग लिमिटेड स्थापित होनी चाहिए. साथ ही इसमें स्थानीय लोगों को राेजगार देने की गारंटी हो. वैसे भी संताल परगना का यह क्षेत्र काफी पिछड़ा है. इससे यहां के लाेगों का विकास होगा. साथ ही स्थानीय लोगों की सहभागिता होने से पूरे खनन क्षेत्र पर पर्यवेक्षण का कार्य भी आसान हो जायेगा.

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