150 प्रस्ताव पारित, एक भी धरातल पर नहीं

लापरवाही. एक वर्ष में जिला परिषद की हुई महज पांच बैठक देवघर : पंचायतीराज व्यवस्था में जिला परिषद सबसे बड़ी इकाई मानी जाती है. जिला परिषद का चुनाव हुए एक वर्ष बीत चुका है. 14 माह में जिला परिषद की महज पांच बैठक हुई है. इन पांच बैठकों में जिला परिषद में लगभग 150 प्रस्ताव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 20, 2017 3:52 AM

लापरवाही. एक वर्ष में जिला परिषद की हुई महज पांच बैठक

देवघर : पंचायतीराज व्यवस्था में जिला परिषद सबसे बड़ी इकाई मानी जाती है. जिला परिषद का चुनाव हुए एक वर्ष बीत चुका है. 14 माह में जिला परिषद की महज पांच बैठक हुई है. इन पांच बैठकों में जिला परिषद में लगभग 150 प्रस्ताव पारित हो चुके हैं, इसमें सार्वजनिक प्रस्तावों में एक भी प्रस्ताव धरातल पर नहीं उतरा है.
सड़क, पानी, स्वास्थ्य, राशन कार्ड व कृषि से जुड़ी योजनाओं में नयी योजनाएं जिला परिषद से पारित कर चालू नहीं की गयी है. पूर्व में तो अधिकारी व जिला परिषद अध्यक्ष व सदस्यों की टकराहट की वजह से विकास कार्य ही पूरी तरह ठप रहा. लेकिन अब अधिकारी व पंचायत प्रतिनिधि में समन्वय होने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है. एक वर्ष के दौरान अधिकांश पारित प्रस्तावों का अनुपालन ही संबंधित विभाग से नहीं किया गया है.
जिला परिषद की अंतिम बैठक 21 दिसंबर 2016 को हुई है. इस बैठक में पूर्व के प्रस्तुत कुल 54 प्रस्तावों में 17 का तो अनुपालन ही नहीं हुआ है. इसमें कोई अनुपालन प्रतिवेदन ही प्राप्त नहीं हुआ है. इस बैठक में अधिकांश जिला परिषद सदस्यों का संबंधित क्षेत्र में सड़क, स्कूल, चापनलों की समस्या है. कई सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्रों में जांच का ही मुद्दा उठाया है. लेकिन इसका भी अनुपालन सही ढंग से नहीं किया गया है. पांच बैठकों में कोई ऐसी सड़क, पुल, पुुलिया, आंगनबाड़ी भवन, स्वास्थ्य केंद्र, चापनलों की नयी बोरिंग, तालाब, चेकडैम जैसी विकास योजनाएं जिला परिषद की बैठक में पारित कर धरातल पर नहीं उतारा गया है. हालांकि जिला परिषद से अलग डीपीसी की बैठक में अनटायड फंड से 13 जिप सदस्यों की अनुशंसा से योेजनाओं पर काम चालू हुआ है.
एक वर्ष में एक भी विकास योजना चालू नहीं, जनता के हित की अनदेखी
क्या कहतीं हैं जिप अध्यक्ष
सरकार ने जिला परिषद का चुनाव तो करा लिया, लेकिन जिला परिषद को कोई फंड नहीं मुहैया कराया गया. 14वां वित्त आयोग की राशि सीधे पंचायतों को भेजी गयी है, जिला परिषद को इससे वंचित रखा गया है. फंड के अभाव में पारित योजनाओं का कार्य नहीं हो रहा है. पूर्व में सीएम को भी जिला परिषद की समस्या से अवगत करा चुके हैं.
– रीता देवी, अध्यक्ष, जिला परिषद, देवघर
महत्वपूर्ण लंबित प्रस्ताव
चापानलों की नयी बोरिंग
चेकडैम का निर्माण
तालाबों का निर्माण
सार्वजनिक हाट पर शौचालय का निर्माण
जिप की बैठक से पारित नयी सड़क का निर्माण
पुनासी स्वास्थ्य उपकेंद में डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति
योग्य लाभुकों का राशन कार्ड में नया नाम जोड़ना
हाइस्कूलों में अतिरिक्त कमरा का निर्माण
मनरेगा से 20 फीसदी राशि जिला परिषद से खर्च करना
पिछले एक वर्ष से जिला परिषद केवल खानापूर्ति बनकर रह गयी है. जिला परिषद गुटबजी की भेंट चढ़ गयी है. सभी सदस्यों का काम नहीं हो रहा है, ऐसी परिस्थिति में सार्वजनिक कार्य कैसे संभव हो पायेगा. जिस अपेक्षा से जनता ने जिला परिषद तक चुनकर भेजा, वह उद्देश्य पूरा नहीं हुअा. जिला परिषद का संचालन सही ढंग से नहीं करने वाले को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. इससे सीधे जनता को नुकसान पहुंच रहा है.
– कविता चौधरी, जिप सदस्य, करौं
जिला परिषद में जनता की समस्याओं का निदान नहीं हो रहा है. प्रस्ताव पारित किये जाने के बाद भी पदाधिकारी गंभीरता नहीं दिखाते हैं, अनुपालन समय पर नहीं होता है. ऐसी परिस्थिति में जनता का कार्य कैसे हो पायेगा, क्षेत्र में जनता का क्या जवाब देंगे. अगर स्थिति नहीं सुधरी तो जिला परिषद का औचित्य ही क्या है. जनता का हित सर्वोपरि होना चाहिए.
– पुुष्पा देवी, जिप सदस्य, सारठ

Next Article

Exit mobile version