अतिक्रमित जमीन खाली करने का दिया आदेश
सुरैया बानो व उनके वारिशानों को 13 साल बाद मिला न्याय देवघर : अवर न्यायाधीश सप्तम प्रभात कुमार शर्मा की अदालत में चल रहे टाइटिल डिक्लेटरी सूट संख्या 182/2004 मो शमशेर अली बनाम अध्यक्ष पीर साहेब मसजिद कमेटी व अन्य में फैसला वादीगण के पक्ष में आ गया है. इस सूट के प्रतिवादियों अध्यक्ष व […]
सुरैया बानो व उनके वारिशानों को 13 साल बाद मिला न्याय
देवघर : अवर न्यायाधीश सप्तम प्रभात कुमार शर्मा की अदालत में चल रहे टाइटिल डिक्लेटरी सूट संख्या 182/2004 मो शमशेर अली बनाम अध्यक्ष पीर साहेब मसजिद कमेटी व अन्य में फैसला वादीगण के पक्ष में आ गया है. इस सूट के प्रतिवादियों अध्यक्ष व सचिव पीर साहेब मसजिद कमेटी मधुपुर को न्यायालय से झटका लगा है. प्रतिवादियों के स्वामित्व को अवैध करार दिया है तथा बिना किसी नुकसान के अतिक्रमित जमीन को खाली करने का आदेश दिया है
. इस वाद के वादीगण काे करीब 13 साल के बाद न्यायालय से फैसला मिला है.
वादीगण की ओर से वरीय अधिवक्ता महेश्वर प्रसाद सिन्हा व प्रतिवादियों की ओर से वरीय एडवोकेट कृष्णानंद झा ने पक्ष रखा.
दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला
जमीन के स्वामित्व को लेकर यह मामला शमशेर अली व उनकी पत्नी सुरैया बानो ने सिविल जज प्रथम देवघर के यहां वर्ष 2004 में दाखिल किया था. विचार के दौरान शमशेर अली की मौत हो गयी. बाद में उनके वारिशानों कहकाशा परवीन, तालातारा, तवस्सुम, हेमा परवीन, नासिर अली व एजाज कैसर का नाम वादी के तौर पर जोड़ा गया.
जमीन मधुपुर बाजार में अवस्थित है जिसका थोका नंबर 160 जमाबंदी नंबर 162 रकवा तीन कट्ठा डेढ़ धूर है जो बसौड़ी प्रकृति की है. दाखिल वाद के अनुसार मूल जमीन की स्वामिनी फहमिदा खातून से 27 अप्रैल 1983 को सेल डीड के माध्यम से वादीगण ने खरीदी थी. इस जमीन पर वादियों का दखल कब्जा था, लेकिन प्रतिवादियों द्वारा जबरन कब्जा 2003 में कर लिया. इसके विरुद्ध मधुपुर एसडीओ, एलआरडीसी समेत अन्य जगहों पर वाद लाया, लेकिन निजात नहीं मिलने पर टाइटिल सूट कोर्ट में किया. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय द्वारा 12 अप्रैल 2017 को फैसला दिया व डिक्री सीट तैयार करने का आदेश दिया.