एमएड की पढ़ाई अब भी मुश्किल
देवघर: सिदो कान्हू मुमरू विश्वविद्यालय के अधीन संताल परगना के सात कॉलेजों में महिलाओं व पुरुषों के लिए बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) कोर्स की सुविधा है. लेकिन, पुरुषों के लिए मास्टर ऑफ एजुकेशन (एमएड) कोर्स का कोई इंतजाम नहीं है. नतीजा झारखंड गठन के 13 वर्ष बाद भी संताल परगना के छात्र उच्च शिक्षा के […]
देवघर: सिदो कान्हू मुमरू विश्वविद्यालय के अधीन संताल परगना के सात कॉलेजों में महिलाओं व पुरुषों के लिए बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) कोर्स की सुविधा है. लेकिन, पुरुषों के लिए मास्टर ऑफ एजुकेशन (एमएड) कोर्स का कोई इंतजाम नहीं है. नतीजा झारखंड गठन के 13 वर्ष बाद भी संताल परगना के छात्र उच्च शिक्षा के मामले में व्यवस्था का दंश ङोल रहे हैं.
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीइ) ने संताल परगना में बीएड कोर्स के लिए सात कॉलेजों को मान्यता प्रदान की है. ऐसे में बीएड कोर्स पूरा करने वाले पुरुषों के समक्ष एमएड की पढ़ाई सपना ही बना हुआ है. विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो संताल परगना के सात कॉलेज में बीएड कोर्स की पढ़ाई होती है.
प्रत्येक कॉलेजों में 100-100 सीटें निर्धारित है. प्रति वर्ष तकरीबन सात सौ छात्र-छात्रएं बीएड की डिग्री हासिल कर रहे हैं. लेकिन, एमएड की डिग्री से वंचित रह जाते हैं. संपन्न छात्र-छात्रएं दूसरे प्रमंडल अथवा राज्यों में जाकर एमएड की पढ़ाई पूरी कर डिग्री हासिल कर लेते हैं. लेकिन, विपरीत परिस्थिति वाले पुरुष चाहते हुए भी बाहर का रुख नहीं कर पाते हैं. संताल परगना में सिर्फ महिलाओं के लिए डीपसर कॉलेज ऑफ एजुकेशन देवघर में एमएड कोर्स की सुविधा उपलब्ध है.