पुस्तकालय के लिए नहीं हैं कमरे
देवघर: देवघर के 2106 प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में से 2060 स्कूलों में पुस्तकालय की स्थापना की गयी है. लेकिन, 1613 स्कूलों में पुस्तकालय के लिए कमरा नहीं है. जबकि 1891 प्राइमरी व 1809 मिडिल स्कूलों में पुस्तक रखने के लिए अलमारी अथवा बुक सेल्फ उपलब्ध नहीं है. सिर्फ 493 स्कूलों में पुस्तकालय के लिए […]
देवघर: देवघर के 2106 प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में से 2060 स्कूलों में पुस्तकालय की स्थापना की गयी है. लेकिन, 1613 स्कूलों में पुस्तकालय के लिए कमरा नहीं है. जबकि 1891 प्राइमरी व 1809 मिडिल स्कूलों में पुस्तक रखने के लिए अलमारी अथवा बुक सेल्फ उपलब्ध नहीं है. सिर्फ 493 स्कूलों में पुस्तकालय के लिए अतिरिक्त कमरा उपलब्ध है.
नतीजा स्कूलों में कमरे के अभाव में पुस्तकें जैसे-तैसे रखी गयी है. प्रत्येक वर्ष विभाग व स्थानीय स्तर पर आयोजित पुस्तक मेले में पुस्तकों की खरीदारी कर विद्यालय को पुस्तकालय के लिए पुस्तकें उपलब्ध करायी जाती है. लेकिन, पुस्तकों का संरक्षण एवं प्रबंधन का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं होने से स्थिति काफी विकट है.
विद्यालय सूत्रों की माने तो पुस्तकों के रखने का पुख्ता इंतजाम नहीं होने की वजह से कई स्कूलों में पुस्तकें दीमक चाट रही है. मौसम का प्रभाव भी पुस्तकों पर पड़ता है. स्कूलों में खुली में पुस्तकों को रखने से बरसात के मौसम में बूंदा-बांदी से किताबों का पन्ना फटती चली जा रही है. विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो पालोजोरी प्रखंड में 184 प्राइमरी व 75 मिडिल स्कूल हैं. लेकिन, यहां पुस्तकालय के लिए कमरे व अलमारी की व्यवस्था शून्य है.