ला-ओपाला कारखाना अनिश्चितकाल के लिए बंद
निर्णय . मजदूरों और प्रबंधन के बीच नहीं बनी बात, लिया फैसला श्रम मंत्री की मौजूदगी में मजदूरों व प्रबंधन के बीच हुई वार्ता मधुपुर : प्रखंड के गड़िया स्थित ला-ओपाला आरजी लिमिटेड ग्लास कारखाने को प्रबंधन ने अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया. इस आशय की नोटिस रविवार को मुख्य दरवाजे के पास चिपका […]
निर्णय . मजदूरों और प्रबंधन के बीच नहीं बनी बात, लिया फैसला
श्रम मंत्री की मौजूदगी में मजदूरों व प्रबंधन के बीच हुई वार्ता
मधुपुर : प्रखंड के गड़िया स्थित ला-ओपाला आरजी लिमिटेड ग्लास कारखाने को प्रबंधन ने अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया. इस आशय की नोटिस रविवार को मुख्य दरवाजे के पास चिपका दी गयी है. नोटिस में बताया गया कि शनिवार की शाम को वार्ता व समझौते के बाद कुछ अज्ञात मजदूरो ने प्रबंधन के लोगों के साथ धक्का-मुक्की की. जमकर नारेबाजी व विरोध प्रदर्शन किया गया. जिसके बाद कारखाने में स्थिति बिगड़ गयी. यूनियन के नेताओं ने भी प्रबंधन से जान माल की सुरक्षा की मांग की. इसलिए ऐसी हालत में कारखाना चलाना संभव नहीं है. अस्थायी रूप से कारखाना में काम बंद किया जाता है.
समझौते के बाद भी नहीं खुला कारखाना : कारखाना प्रबंधन व मजदूरो के बीच विवाद को लेकर शनिवार की शाम को कारखाना परिसर में त्रिपक्षीय वार्ता हुई. जिसमें इन दोनो पक्षों के अलावा प्रदेश के श्रम मंत्री राज पलिवार, विधायक डा. इरफान अंसारी व श्रम विभाग के अधिकारी शामिल हुए. वार्ता में भट्टी व ठंडे विभाग में करने वाले मजदूरों की हाजिरी 30 व 15 रूपये बढ़ाने का निर्णय लिया. इसके अलावा प्रबंधन ने मजदूरों की सभी मांगों को माना और अंत में कारखाना चालू करने को लेकर दो पक्षों ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया.
जिसमें एक पक्ष से कारखाना के महाप्रबंधक राहत अली व दूसरे पक्ष से मजदूर यूनियन के अध्यक्ष शिवा दास और जियाउल हक आदि शमिल थे. बताया जाता है कि वार्ता समाप्त होने के बाद मजदूरों के गुट ने इसका विरोध करते हुए हंगामा व नारेबाजी की. जिसके बाद मामला बिगड़ गया. कारखाना प्रबंधन ने इसे चालू नहीं कर अस्थायी रूप से बंद करने की नोटिस चिपका दी. रविवार की सुबह कुछ मजदूरों ने कारखाने में प्रवेश करने का भी प्रयास किया.
लेकिन किसी को अंदर जाने नहीं दिया गया. इसके बाद प्रशासन ने कारखाना गेट के बाहर पुलिस बल की तैनाती कर दी. दिन भर पुलिस वहां रही. बताते चलें कि ला-ओपाला व क्रिस्टल कारखाने को मिल कर स्थायी व अस्थायी रूप से 800 मजदूर कार्यरत हैं. कारखाना बंद होने से इन मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है.