पॉक्सो एक्ट के दोषी युवक को 20 साल की सश्रम सजा, 26 हजार का जुर्माना
एडीजे तीन सह पॉक्सो एक्ट स्पेशल जज राजेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत में एक नाबालिग से यौन उत्पीड़न में विशाल राउत उर्फ विक्की को दोषी पाकर 20 साल की सश्रम सजा सुनायी गयी.
विधि संवाददाता, देवघर.
एडीजे तीन सह पॉक्सो एक्ट स्पेशल जज राजेंद्र कुमार सिन्हा की अदालत में पॉक्सो केस संख्या 11/2021 की सुनवाई की गयी. इसके बाद विशाल राउत उर्फ विक्की को दोषी पाकर 20 साल की सश्रम सजा सुनायी गयी. साथ ही 26 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. यह राशि पीड़ित बालक के पिता को देय होगी. जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर अभियुक्त को अलग से तीन साल की सजा काटनी होगी. सजा पाने वाला अभियुक्त जसीडीह थाना के अजानटोला रोहिणी गांव का रहने वाला है. इसके विरुद्ध 21 फरवरी 2021 को मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें सूचक के सात वर्षीय पुत्र के साथ आरोपी द्वारा अप्राकृतिक याैन उत्पीड़न का आरोप था. सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष से घटना के संदर्भ में 10 लोगों ने गवाही दी. इस केस में अभियोजन पक्ष से विशेष लोक अभियोजक शिवाकांत मंडल एवं बचाव पक्ष से अधिवक्ता गोपाल शर्मा ने पक्ष रखा. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने उक्त फैसला सुनाया. इस मामले का स्पीडी ट्रायल हुआ एवं तीन साल के बाद पीड़ित बालक को न्याय मिला.घटना के बाद बच्चे का स्वास्थ्य चल रहा था खराबदर्ज मुकदमे के अनुसार, पीड़ित बालक पांचवीं क्लास का छात्र है, जिसका स्वास्थ्य एक माह से लगातार खराब होते जा रहा था. माता-पिता द्वारा अपने पुत्र से पूछने पर घटना के बारे में भयभीत होकर बताया. इसकी शिकायत करने जब आरोपी के घर गया तो गाली-गलौज की एवं धमकी दी. इसके बाद पीड़ित के पिता ने थाने में शिकायत की और केस दर्ज हुआ, जिसमें विशाल राउत उर्फ विक्की को आरोपी बनाया गया. केस दर्ज होने के बाद पुलिस 28 अप्रैल 2021 को चार्जशीट दाखिल किया. इसके बाद केस का ट्रायल स्पेशल कोर्ट में हुआ और उपरोक्त सजा सुनायी गयी.
इन धाराओं में दोषी पाकर सुनायी गयी सजा
पॉक्सो एक्ट की धारा 4 (2) में – 20 वर्ष की सश्रम सजा, भादवि की धारा 506 में दो साल की सश्रम सजा, भादवि की धारा 504 में एक साल की साधारण सजा. ये सभी सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी.
———————————————–हाइलाइट्स:
एडीजे तीन सह पॉक्सो एक्ट स्पेशल जज राजेंद्र कुमार सिन्हा के कोर्ट से आया फैसलासात वर्षीय बालक के साथ यौन उत्पीड़न का था आरोपस्पीडी ट्रायल में तीन साल के बाद मिला न्याय
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