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यू-ट्यूब पर फर्जी न्यूज चैनल समेत अखबारों के जरिये ब्लैकमेलिंग करने वालों पर हो कार्रवाई : डॉ निशिकांत

सांसद डॉ दुबे ने संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि पहली बार किसी लोकसभा अध्यक्ष पर सवाल उठाया जा रहा है, जबकि संसद की सुरक्षा का अधिकार क्षेत्र लोकसभा सचिवालय का है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 22, 2023 1:01 AM

देवघर : लोकसभा में गुरुवार को प्रेस पंजीकरण विधेयक चर्चा पर मुख्य वक्ता के तौर पर गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने हिस्सा लिया. सांसद डॉ दुबे ने कहा कि ‘प्रेस और नियतकालिक पत्रिका रजिस्ट्रीकरण विधेयक, 2023’ गुलामी की मानसिकता से बाहर निकालने से संबंधित कदम है. यह विधेयक 1867 के उस अधिनियम का स्थान लेगा, जो ब्रिटिशकाल में अस्तित्व में आया था. 1867 के कानून के कारण करीब पांच लाख लोगों को जेल हुई थी. इस कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कानून को निरस्त करने का विचार किया. पहले के कानून में मौजूद अधिक आपराधिक प्रावधानों को हटाया गया है, जो कारोगारी सुगमता से जुड़ा कदम है. सांसद ने कहा कि चुनाव के समय छोटे-छोटे अखबार व यू-ट्यूब पर फर्जी न्यूज चैनल कुकुरमुत्ते की तरह पनप जाते हैं, इसे रोका जाना चाहिए. हरेक जिले में विशेष नोडल ऑफिसर की नियुक्ति की जाये. ये नोडल ऑफिसर उन पर कार्रवाई करे, जो अधिक सर्कुलेशन दिखाकर विज्ञापन लेते हैं तथा वैसे अखबार व यू-ट्यूब पर चलने वाले न्यूज चैनल जो ब्लैकमेलिंग करते हैं.

प्रेस पंजीकरण विधेयक चर्चा पर सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने लिया हिस्सा

चुनाव से पहले इन फर्जीवाड़ों पर प्रेस रजिस्ट्रार जनरल द्वारा कड़ाई करनी चाहिए. ऐसे मामलों में आम आदमी अगर शिकायत करते हैं तो उनकी शिकायतों को भी सुनकर 60 दिनों के अंदर निबटारा करना चाहिए. सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने कहा कि इस विधेयक से नागरिकों को सुविधा होगी. सांसद डॉ दुबे ने संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि पहली बार किसी लोकसभा अध्यक्ष पर सवाल उठाया जा रहा है, जबकि संसद की सुरक्षा का अधिकार क्षेत्र लोकसभा सचिवालय का है. सदन में पहले भी कई बार लोग कूदे, लेकिन कोई चर्चा नहीं हुई. इससे पहले सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सदन में इस बिल को पेश किया. उन्होंने कहा : पहले पत्र-पत्रिकाओं के पंजीकरण के आठ चरण होते थे. अब आठ महीने का समय नहीं लगेगा, बल्कि दो महीने में समाचार पत्र और पत्रिका के प्रकाशन की अनुमति मिलेगी. अब जिला अधिकारी और आरएनआइ के पास एक ही समय पर आवेदन कर सकते हैं.

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