देवघर रोपवे हादसे के बाद फीकी पड़ी त्रिकूट पहाड़ की रौनक, कई हुए बेरोजगार, दुकानदारों में मायूसी
10 अप्रैल 2022 को रामनवमी के दिन ही सावन से पहले ही रोपवे हादसे ने यहां की रौनक छीन ली. पहले जहां, सावन के महीने में रोज 70 से 80 हजार पर्यटक त्रिकूट पहाड़ पर पहुंचते थे, वहीं अब मुश्किल से चार से पांच हजार कांवरिये पहुंच रहे हैं.
श्रवण कुमार मंडल, मोहनपुर. त्रिकूट पहाड़ पर रोपवे शुरू होने के बाद यह स्थान पर्यटकों से गुलजार रहा करता था. रोपवे से पहाड़ पर चढ़ने का आनंद पर्यटकों को त्रिकूट पहाड़ की तरफ खींच कर ले आता था. मगर, 10 अप्रैल 2022 को रामनवमी के दिन ही सावन से पहले ही रोपवे हादसे ने यहां की रौनक छीन ली. पहले जहां, सावन के महीने में रोज 70 से 80 हजार पर्यटक त्रिकूट पहाड़ पर पहुंचते थे, वहीं अब मुश्किल से चार से पांच हजार कांवरिये पहुंच रहे हैं. त्रिकूट राेपवे के टिकट से रोजाना एक लाख से डेढ़ लाख रुपये के राजस्व की आय होती थी. अब तक रोपवे चालू नहीं होने से करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है, बल्कि यहां के लोगों की आमदनी का जरिया भी प्रभावित हुई है.
रोपवे बंद होते ही 1000 लोगों के रोजगार पर असर
रोपवे हादसे के पहले त्रिकूट पहाड़ के पास और चोटी पर करीब 250 दुकानें चलतीं थीं. इससे करीब एक हज़ार से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा था. लोग हंसी-खुशी परिवार के साथ जीवनयापन करते थे. वहीं, हादसे के बाद यहां दुकानों की संख्या घटकर 150 हो गयी. इसके अलावा यहां पहले करीब 250 गाइड थे, जो अब 90 ही रह गये हैं. वहीं, 150 कैमरामैन से घटकर 70 हो चुके हैं. बंदर के लिए चना बेचने वालों की संख्या करीब 80 थी, जो 20 तक ही सीमित रह गयी है. वहीं, पानी के बोतल बेचने वाले लगभग 50 लोग थे, जिसमें पांच भी नहीं हैं.
चार पंचायतों के आठ लोगों को मिला रोजगार
मोहनपुर प्रखंड क्षेत्र के चार पंचायत चकरमा, तुम्बाबेल, मोरने, झालर पंचायत के बसडीहा, सिरसा, पूजरडीह, नोडीहा, कुरेवा, तुम्बाबेल, झालर व चकरमा गांव के सैकड़ों लोग रोजगार से जुड़े थे. हादसे के बाद दर्जनों की संख्या में दुकानदार, कैमरामैन, गाइड मजदूरी के लिए यहां से निकल चुके हैं.
क्या कहते हैं दुकानदार
रोपवे बंद होने से पर्यटक का त्रिकूट पहाड़ आने वालों में 50 प्रतिशत तक की कमी आयी है. इससे रोजगार पर भारी असर पड़ा है.-कृष्णा प्रसाद चौधरी
हादसे के बाद त्रिकूट पहाड़ वीरान हो चुका है. अब पहले की अपेक्षा 25 फीसदी भी पर्यटक नहीं आते हैं. इस कारण रोजगार खत्म हो गया है.- रामू कापरी
क्या कहते हैं गाइड
रोपवे चालू था तो प्रतिदिन हजार से 1500 तक कमाई हो जाती थी. लेकिन, आज 300 रुपये भी कमाना मुश्किल हो गया है.- शक्ति कुमार
पहले मजदूरी से अधिक की कमाई हो जाती थी. आज स्थिति ऐसी हो गयी है कि मजदूरी का पैसा निकलना भी कठिन हो गया है.- सीताराम कापरी
क्या कहते हैं श्रद्धालु
त्रिकूट रोपवे अब केवल शोभा बनकर रह गया है. बच्चों के साथ घूमने आये थे. लेकिन, रोपवे में नहीं चढ़ने से आनंद नहीं आया. प्रशासन इसे जल्द चालू करे.- राप्रसाद गुप्ता, सिद्धार्थनगर, यूपी
रोपवे नहीं चालू होने से श्रद्धालुओं में उमंग नहीं है, जिस कारण अब लोग यहां आने से कतराने लगे हैं. पर्यटकों के लिए रोपवे जल्द चालू करने की जरूरत है.- गोलू सोनू, बेलपुर, सीवान, बिहार
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