जनजातीय समुदाय के स्वास्थ्य संरक्षण के लिए संताल में एम्स जरूरी था

इन योजनाओं का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के करीब स्वास्थ्य की देखभाल और गुणवत्ता को बढ़ाना है, साथ ही उनकी अनूठी संस्कृतियों और पारंपरिक प्रथाओं का सम्मान करना

By Prabhat Khabar News Desk | August 5, 2023 12:57 PM
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भारत विभिन्न प्रकार के जनजातीय समुदायों का घर है, जो कुल जनसंख्या का लगभग दो फीसदी है. ये जनजातियां दूरदराज के इलाकों में निवास करती हैं और इनकी अलग-अलग संस्कृतियां, परंपरा और भाषा हैं. ये अपने प्राकृतिक पर्यावरण से गहरायी से जुड़ी हुई हैं और पारंपरिक आजीविका पर निर्भर हैं. हालांकि, जनजातीय क्षेत्रों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) जैसी विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं को लागू करने के भारत सरकार के प्रयासों के बावजूद, इन भौगोलिक रूप से अलग-थलग और कम सेवा वाले स्थानों में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करना महत्वपूर्ण चुनौतियां अभी भी हैं.

भारत में एनएचएम का लक्ष्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को एकीकृत करके प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा की बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है. इस प्रयास के हिस्से के रूप में, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) योजना प्रति वर्ष प्रति परिवार पांच लाख तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करती है, जिससे आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले कमजोर परिवारों को लाभ मिलता है.

इन योजनाओं का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के करीब स्वास्थ्य की देखभाल और गुणवत्ता को बढ़ाना है, साथ ही उनकी अनूठी संस्कृतियों और पारंपरिक प्रथाओं का सम्मान करना और न्यायसंगत और समावेशी स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देना है. देवघर में एम्स की स्थापना जनजातीय समुदाय की स्वास्थ्य संरक्षण के लिए बेहद जरूरी था.

राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनटीएचपी) रोग की रोकथाम और क्षमता निर्माण हस्तक्षेपों के माध्यम से जनजातीय समुदायों के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार करने का प्रयास करता है. जनजातीय उप-योजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए से टीएसएस) इन क्षेत्रों में चिकित्सा के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए अनुदान प्रदान करती है.

हालांकि अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, अपर्याप्त धन, कुशल चिकित्सकों की कमी, भाषा बाधाएं और आदिवासी स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में सीमित जागरूकता जैसी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं. नतीजतन, इन विभिन्न चुनौतियों के कारण स्वास्थ्य कार्यकर्ता अक्सर आदिवासी क्षेत्रों में सेवा करने से झिझकते हैं. इन चुनौतियों में रहने के लिए बुनियादी सुविधाओं की कमी, सीमित सड़क संपर्क, बार-बार बिजली की कटौती और स्वच्छ पेयजल की समस्या है.

भाषा संबंधी बाधाएं मामले को और जटिल बनाती हैं, जिससे चिकित्सक और आदिवासी समुदायों के बीच प्रभावी संवाद बाधित होता है. इसके अलावा, गरीबी और भौगोलिक स्थानों की सुदूरता स्वास्थ्य सुविधा संबंधी असमानताओं को बढ़ाती है, जिसके परिणामस्वरूप चिकित्सा सेवाओं तक पहुंच में देरी होती है. भारत में स्वास्थ्य चिकित्सा की मांग और उपलब्धता के बीच महत्वपूर्ण अंतर के लिए तत्काल और लक्षित कार्रवाई की आवश्यकता है.

सरकार ने बुनियादी ढांचे को बढ़ाने, कार्यबल को सशक्त बनाने, स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा देने और नीतियों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में क्रांति लाने के लिए साहसिक कदम उठाये हैं. ये पहल पूरे देश में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति को ऊपर उठाने के लिए महत्वपूर्ण हैं. स्वास्थ्य देखभाल पहुंच में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए, सरकार सड़क कनेक्टिविटी में सुधार और टेलीमेडिसिन सेवाओं को लागू करने जैसे आविष्कारशील समाधान लागू कर रही है, जिससे सबसे दूरदराज के क्षेत्रों में भी स्वास्थ्य देखभाल में बाधाएं दूर हो रही हैं.

कुशल चिकित्सा बनाये रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसे विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों में सामना की जाने वाली अनूठी चुनौतियों का समाधान करने के लिए तैयार किये गये प्रोत्साहन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से प्राप्त किया जाता है. अनुकूलित स्वास्थ्य शिक्षा पहल आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोणों के साथ-साथ उनकी सांस्कृतिक प्रथाओं की सराहना और समावेश करके आदिवासी समुदायों को सशक्त बना रही हैं.

उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं और संदर्भ को संबोधित करके, व्यक्तियों और समुदायों को सुसज्जित किया जा रहा है. सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए, मजबूत शासन और निगरानी प्रणालियां स्थापित की जा रही हैं, जो एक स्वस्थ राष्ट्र के लिए एक मजबूत नींव तैयार कर रही हैं. मेडिकल कॉलेजों और तृतीयक देखभाल केंद्रों का विस्तार, सामाजिक विकास प्रयासों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करता है कि विशेष चिकित्सा सभी के लिए सुलभ है, जिससे उस अंतर को पाट दिया गया है, जो लंबे समय से प्रगति में बाधा बना हुआ है.

आदिवासी समुदायों के लिए बेहतर चिकित्सा में सुधार लाने में देवघर एम्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. मेडिकल कॉलेजों का विस्तार करने के साथ-साथ सामाजिक विकास पहल से इन क्षेत्रों में विशेष स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी. इस सक्रिय दृष्टिकोण का उद्देश्य जनजातीय आबादी को उन्नत चिकित्सा को बेहतर पहुंच के साथ सशक्त बनाना है, जिससे एक ठोस समाधान तैयार हो सके.

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