Loading election data...

बाबा बैद्यनाथ धाम में हैं आनंद भैरव, तांत्रिक विधि से होती है पूजा, जानें इतिहास

बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण में बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, मां पार्वती सहित विभिन्न देवी-देवताओं के कुल 22 मंदिर अवस्थित हैं. मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. भक्ति से ओत-प्रोत हर एक मंदिर की जानकारी आपको दी जायेगी. आज पढ़ें आनंद भैरव मंदिर के बारे में

By Prabhat Khabar News Desk | July 18, 2023 12:01 PM

Baba Dham Deoghar: देवघर के बाबा मंदिर में स्थित सभी 22 देवी देवताओं का अलग अलग महत्व है. सभी मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके निर्माण व निर्माणकर्ता के बारे में रोचक कहानियां हैं. अब तक हम आपको मां पार्वती मंदिर, मां जगतजननी व मां संकष्टा मंदिर, भगवान गणेश मंदिर, मां संध्या मंदिर, चतुर्मुखी ब्रह्मा मंदिर, महाकाल भैरव मंदिर, भगवान हनुमान के मंदिर, मां मनसा मंदिर, मां सरस्वती मंदिर, बगलामुखी मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, राम-सीता-लक्ष्मण मंदिर और गंगा मंदिर के बारे में बता चुके हैं. आज हम आपको आनंद भैरव मंदिर के बारे में बताएंगे.

12 ज्योतिर्लिंगों में से द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर व इनके प्रांगण की सभी मंदिरों का पौराणिक महत्व है. इनमें सर्वाधिक महत्व बाबा की पूजा के उपरांत के बाबा के आनंद भैरव स्वरूप की पूजा का है. इस मंदिर का निर्माण 1782 में रामदत्त ओझा ने शुरू किया, जो 1810 और 1823 के बीच आनंद दत्त ओझा और सर्बानंद ओझा ने पूरा किया था. यह मंदिर मुख्य मंदिर के पीछे पश्चिम व उत्तर के कोने की तरफ स्थित है. यह राम मंदिर के उत्तर की तरफ है. आनंद भैरव मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. इस आनंद भैरव मंदिर मुख्य शिखर इसकी लम्बाई लगभग 40 चौडाई 30 फीट है.

आनंद भैरव मंदिर के शिखर पर तांबे का कलश है. इसके ऊपर पंचशूल भी लगा है. शिखर के गुंबद के नीचे नीले रंग से रंगा हुआ है. आनंद भैरव का मंदिर मुख्य मंदिर पुरव की ओर है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए मंदिर प्रांगण से सर्वप्रथम प्रथम तीन सीढ़ियां को पार करके भक्त आनंद भैरव के प्रांगण में पहुंचते है. सामने पीतल के दरवाजे को भक्त प्रणाम कर सिर झुका कर गर्भ गृह में पहुंचते हैं. जहां आनंद भैरव के दर्शन होते हैं. जहां आनंद भैरव आसन मुद्रा में बढ़े काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है. इस मूर्ति की ऊंचाई पांच फीट है. आनंद भैरव के दाई हाथ सोटा व जनेऊ पहने है. यहां पर भक्तों वह पुजारी सभी के लिए प्रवेश व निकास द्वार का एक ही रास्ता है.

तांत्रिक विधि से होती है आनंद भैरव की पूजा

यहां पर आनंद भैरव की तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है. मंदिर स्टेट की ओर से भैरो चतुर्दशी को आनंद भैरव की वार्षिक पूजा विधि विधान से षोडशोपचार उपचार विधि से किया जाता है. इसके अलावा भुजावाला मिश्र परिवार की ओर से सालों भर पूजा की जाती है. इसके अलावा भैरो चतुर्दशी को भुजवाला मिश्र परिवार की ओर से विशेष पूजा व भव्य महाशृंगार किया जाता है. इस अवसर पर भगवान आनंद भैरव को तरह तरह के मिठाई, फल मूल, मालपुआ व रोट का विशेष भोग लगाया जाता है. भक्त सालों भर आनंद भैरव की पूजा कर सकते हैं. इस मंदिर में प्रवेश करते ही भुजावाला मिश्र परिवार के वंशज आनंद भैरव प्रांगण में अपने यजमान को संकल्प पूजा कराने के लिए अपने गद्दी पर रहते हैं.

Also Read: बाबा बैद्यनाथ की जटा से निकलीं मां गंगा का बाबानगरी में विशेष महत्व, वैदिक विधि से होती है पूजा

Next Article

Exit mobile version