देवघर एम्स में जनजातीय स्वास्थ्य पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन शनिवार को मुख्य अतिथि केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने किया. केंद्रीय मंत्री ने देवघर एम्स को ट्रायबल ऑफ एक्सीलेंस सेंटर बनाने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है कि आदिवासी समुदायों सहित सभी नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जाये. मुझे यह देखकर खुशी हुई कि इको इंडिया और एम्स देवघर इन समुदायों के सामने आनेवाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए कदम उठा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि ट्रायबल हेल्थ के साथ देश का हेल्थ भी अच्छा होना चाहिए. अगर किसी देश का हेल्थ अच्छा नहीं होगा, तो वहां विकास भी संभव नहीं है. हम ‘स्वस्थ भारत, समर्थ भारत’ का निर्माण कर सकते हैं. नये भारत का संकल्प स्वास्थ्य के माध्यम से लेंगे, तभी हेल्दी इंडिया बनेगा. इस पर हम सब मिलकर काम कर सकते हैं. ट्रायबल को संरक्षित रखने के लिए हमें डेटा को महत्वपूर्ण बनाना होगा. संताल परगना सहित छोटानागपुर कोल बेल्ट है. यह मिनरल रिच भी है. लेकिन, हमारा हेल्थ कितना रिच है, यह महत्वपूर्ण है.
श्री मुंडा ने कहा कि हमारा मंत्रालय सभी 41 मंत्रालय के साथ सहयोगी के रूप में काम करने को हमेशा तत्पर है. आज दुनिया बदल रही है. हमें भी नयी सोच के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है. शिखर सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर पैनल चर्चाएं हुईं, जिनमें दूरस्थ जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में आने वाली समस्याएं, जनजातीय क्षेत्रों के सांस्कृतिक एवं भौगोलिक विषयों को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य परिणामों को सुधारने के लिए समाधानों की परिकल्पना तथा डिजिटल तकनीक के प्रभावी उपयोग करना शामिल है.
समारोह में मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री सहित विशिष्ट अतिथि देवघर विधायक नारायण दास, देवघर एम्स के कार्यकारी निदेशक सह सीइओ प्रो डॉ सौरभ वार्ष्णेय, प्रेसिडेंट प्रोफेसर डॉ एनके अरोरा, इको इंडिया के सीओओ सुरोजीत चट्टोराज, डीन रिसर्च डॉ प्रतिमा गुप्ता को बुके, शॉल व मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया. केंद्रीय मंत्री ने इको इंडिया का ‘ज्वाइनिंग हैंड फॉर बेटर हेल्थ : इको इंडियाज कोलेबोरेटिव एफर्ट्स इन ट्रायबल बेल्ट स्टेट्स’ नामक पुस्तक का विमोचन किया.
एम्स देवघर के कार्यकारी निदेशक डॉ सौरभ वार्ष्णेय ने कहा कि जनजातीय समुदायों को लंबे समय से स्वास्थ्य सेवाओं को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. इन समुदायों की अनूठी सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताएं अक्सर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में बाधाएं पैदा करती हैं. इस राष्ट्रव्यापी शिखर सम्मेलन के माध्यम से हमारा उद्देश्य ऐसे समाधानों की पहचान करना है जो देश भर में जनजातीय समुदायों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में कारगर साबित हो.
डॉ वार्ष्णेय ने कहा कि उन्नत भारत अभियान के तहत देवघर एम्स ने पांच आदिवासी गांवों को गोद लिया है और टेलीमेडिसिन सेवाओं का उपयोग कर स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने का कार्य किया जा रहा है. एम्स देवघर में जनजातीय स्वास्थ्य पर शोध जारी है और इसके तहत जनजातीय मामलों के मंत्रालय को 14 शोध प्रस्ताव प्रस्तुत किए गये हैं. जिसमें सीकल सेल रोग में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव भी शामिल है. एम्स देवघर आसपास की जनजातीय आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक सेटेलाइट सेंटर भी स्थापित कर रहा है.