सोहराय पर्व को लेकर घरों की रंगाई-पुताई में जुटे लोग
मारगोमुंडा के आदिवासी बाहुल्य गांवों में हर्षोल्लास का माहौल
मारगोमुंडा. प्रखंड क्षेत्र के महजोरी, लहरजोरी, अर्जुनपुर, कासीडीह, पोड़ीदाह, सालमान्द्रा, ग्रीनजोरी, बाघशीला, डंगरा, बाघमारा, मकनपुर, टिटिचापर, नवाडीह, टीकोपहाड़ी, बरसतिया, बनडबरा, द्वार पहाड़ी, एकद्वारा सुगापहाड़ी, टिकोपहाड़ी, कोलखा, परसिया, लालपुर समेत अन्य आदिवासी बाहुल्य गांवों में ग्रामीण अपने घरों की रंगाई-पुताई के साथ आकर्षक तरीके से सजाने के साथ रंगोली बनाने के काम में जुटे हैं. बताया जाता है कि सोहराय पर्व आदिवासियों का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, जिसमें आदिवासी समाज खेत, खलिहान व प्रकृति की पूजा करते हैं. इस दौरान परंपरागत नृत्य करते हुए खूब नाचते गाते हुए पर्व को मनाते हैं. बताया जाता है कि यह पर्व आठ जनवरी से प्रारंभ हो रहा है. इसको लेकर क्षेत्र में आदिवासी समाज जोरों से तैयारी में लग गये हैं. बताया जाता है कि पर्व पांच दिनों तक लगातार चलता है. इस दौरान आदिवासी समाज प्रकृति पूजा खेत खलिहान और मवेशी की पूजा करते हैं. साथ ही अपने पूर्वजों को याद करते है. इस दौरान आदिवासी महिला पुरुष मांदर की थाप पर गांव टोलों में थिरकते नजर आयेंगे. पर्व के प्रथम दिन स्नान व बथान कर शाम को पूजा करते हैं. दूसरे दिन गोहाल पूजा व तीसरे दिन बरद खुटा मनाते हैं. इस दौरान बैल को सजाकर बांधते हैं. गांव के चारों तरफ घूमते हुए नृत्य करते हैं. चौथे दिन जाली मनाते हैं. इसमें सामूहिक रूप से एक-दूसरे के घर जाते हैं और नाचते-गाते हैं. पर्व के अंतिम दिन पांचवें दिन को हाकुकटाम कहा जाता है. इस दिन शिकार खेलने की प्रथा है. इस पर्व को भाई-बहन के अटूट रिश्ते का पर्व भी माना जाता है. इसमें भाई अपनी बहन को निमंत्रण देता है. बहन भाई के घर आकर भाई के लिए लंबी उम्र की कामना करते हैं. शिकार खेलने की प्रथा के साथ पर्व का समापन हो जाता है. ——————- मारगोमुंडा के आदिवासी बाहुल्य गांवों में हर्षोल्लास का माहौल भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है सोहराय पर्व
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