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बाबा नगरी में पहली बार सुखी होली के दिन नहीं होगी बाबा की शृंगार पूजा, जानें क्या है मान्यता

फाल्गुन मास पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु यानी हरि के हाथों भगवान शिव यानी हर की शिवलिंग को रावण से लेकर इस चिता भूमि यानी देवघर में स्थापित की गयी है. इसी दिन बाबा भोलेनाथ की स्थापना विष्णु के हाथों से होने के कारण हरिहर मिलन की परंपरा चली आ रही है.

देवघर, संजीव मिश्रा : बाबा नगरी में होली का त्योहार छह व सात मार्च को मनाया जायेगा. बाबा मंदिर में इसकी तैयारी शुरू हो गयी है. पहली बार सूखी होली के दिन छह मार्च को बाबा की शृंगार पूजा नहीं होगी. दरअसल, बाबा मंदिर की परंपरा हरिहर मिलन का समय बदल जाने के कारण शृंगार पूजा नहीं होगी. साथ ही हरिहर मिलन के साथ बाबा बैद्यनाथ का स्थापना दिवस मनाया जायेगा. परंपरा के अनुसार, छह मार्च को पूर्णिमा तिथि का प्रवेश शाम 4:20 बजे होगा तथा साढ़े चार बजे बाबा मंदिर का पट खोला जायेगा. गर्भ गृह में मंदिर महंत सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा बाबा पर गुलाल अर्पित कर बाबा नगरी में होली को प्रारंभ करेंगे. उसके बाद शहर के लोग भी बाबा पर गुलाल चढ़ाने के लिए पहुंचेंगे.

पौने पांच बजे मंदिर से निकलेगी पालकी

राधाकृष्ण मंदिर से भगवान कृष्ण यानी हरि को पालकी पर बिठाकर मंदिर का परिक्रमा करने के बाद पश्चिम द्वार से निकाला जायेगा. इसके बाद रास्ते में पालकी पर भगवान का दर्शन कर लोग गुलाल अर्पित करेंगे. इस पालकी को आजाद चौक स्थित दोल मंच पर लाकर पूरी रात भंडारी परिवार की ओर झुलाया जायेगा. दोल मंच पर ले जाने के दौरान रास्ते में पड़ने वाले हर चौराहे पर मालपुआ का विशेष भोग लगाया जायेगा.

मंगलवार अहले सुबह 4:45 बजे होगा हरिहर मिलन

सोमवार शाम में बाबा मंदिर का पट खुलने के बाद यह पूरी रात खुली रहेगी. इस दिन बाबा की शृंगार पूजा नहीं होगी. इस संबंध में इस्टेट पुरोहित श्रीनाथ पंडित ने बताया कि सोमवार को ही पूर्णिमा का प्रवेश हो जायेगा. भगवान को उसी दिन परंपरा अनुसार बाबा को गुलाल अर्पित करने के पश्चात भगवान को दोल मंच के लिए प्रस्थान कराया जायेगा. पूरी रात तक बारबेला होने के कारण दूसरे दिन मंगलवार को पौने पांच बजे शुभ तिथि पर हरिहर मिलन कराया जायेगा. इस वजह से मंदिर में बाबा की शृंगार पूजा नहीं होगी तथा पूरी रात शहर के लोग बाबा पर गुलाल चढ़ायेंगे. सुबह में हरिहर मिलन के बाद कुछ देर के लिए पट बंद किया जायेगा. उसके बाद सरदारी पूजा कर आम भक्तों के जलार्पण के लिए पट खोला जायेगा.

क्या है हरिहर मिलन की परंपरा

मान्यता के अनुसार, फाल्गुन मास पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु यानी हरि के हाथों भगवान शिव यानी हर की शिवलिंग को रावण से लेकर इस चिता भूमि यानी देवघर में स्थापित की गयी है. इसी दिन बाबा भोलेनाथ की स्थापना विष्णु के हाथों से होने के कारण हरिहर मिलन की परंपरा चली आ रही है. मान्यता यह भी है कि इस मिलन को देखने से मानव जीवन में पूरे जीवन काल तक हरि यानी भगवान विष्णु व हर यानी भगवान शिव की कृपा बनी रहती है. साथ ही जीवन में प्रेम व शांति रहती है.

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