Jharkhand news: महाप्रयाण को प्राप्त आचार्य देव अशोक कुमार चक्रवर्ती के ज्येष्ठ पुत्र अर्कद्युति चक्रवर्ती उर्फ बबाई दा को अब देवघर के सत्संग आश्रम की परंपराओं और जीवंत आदर्शों को आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी सौंपी गयी है. सत्संग आश्रम के नये आचार्य देव अर्कद्युति चक्रवर्ती उर्फ बबाई दा होंगे. इसकी विधिवत घोषणा रविवार (26 दिसंबर) को बड़ दा बाड़ी में आयोजित पारलौकिक कार्यक्रम के बाद सत्संग आश्रम के अध्यक्ष सह अशोक दा के मंझले भाई डॉ आलोक रंजन चक्रवर्ती ने की.
वहीं, रविवार की शाम को आयोजित वृहत सत्संग कार्यक्रम में उनके आचार्य देव होने की सार्वजनिक रूप से घोषणा कर दी गयी. नये आचार्य देव के नाम की घोषणा होते ही जय गुरु और वंदे पुरुषोत्तम से सत्संग परिसर गुंजायमान हो गया. पूरे परलौकिक क्रिया में बबाई दा के अलावा उनके दोनों भाई अनिरुद्ध चक्रवर्ती उर्फ सिपाई दा, अनिन्दद्युति चक्रवर्ती उर्फ बिंकी दा भी साथ-साथ रहे. इस दौरान दादा प्रधान आचार्य देव के चित्र पर पुष्पमाला अर्पित कर गद्दी में विराजमान रखा गया था.
सत्संग आश्रम में मौजूद तकरीबन 20-25 हजार की संख्या में पहुंचे अनुयायी और देश-विदेश के करोड़ों अनुयायियों ने वर्चुअल दर्शन कर इस क्षण के गवाह बने. इससे पूर्व कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए कोलकाता से आये पंडित सुभाष बनर्जी सहित देवघर के पंडित बोधिव्यास भट्टाचार्या और कपिलदेव मिश्रा ने संयुक्त रूप से श्रीश्री बड़ा दा के पुण्य पारलौकिक क्रिया कार्यक्रम को संपन्न कराया.
Also Read: देवघर सत्संग आश्रम के तीसरे गुरु आचार्य देव अशोक रंजन चक्रवर्ती का बंगाल में निधन, पीएम-सीएम ने जतायी संवेदना7 जून, 1968 को जन्मे आचार्य देव बबाई दा बचपन से ही सत्संग आश्रम के तमाम क्रिया कलाप में लीन कर चुके थे. महज 27 वर्ष में ही उन्होंने युवाओं के बीच श्रीश्री ठाकुर के उपदेश को प्रसारित करने का काम करने लगे. देश-विदेश के में जहां सत्संग आश्रम है, वहां पहुंच कर विभिन्न आयोजनों में युवाओं को मानव प्रेम और ठाकुर के आदर्शों की जानकारी देना शुरू किये.
सत्संग आश्रम में बड़ दा के कार्यक्रम के बाद विधिवत जब आश्रम के अध्यक्ष ने बबाई दा के नाम की घोषणा आचार्य देव बनने की घोषणा की. यह घोषणा ठीक वैसी ही थी जैसे सनातन धर्म में पगड़ी बांधने की रस्म अदायगी होती है. बड़ दा के जाने के दुख से गमगीन माहौल के बीच आचार्य देव की घोषणा हुई. कहा गया कि आचरण सिद्ध व्यक्तित्व ही आचार्य देव होते हैं और शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ के उच्च स्थान मिलता है.
Also Read: Jharkhand News:वृक्षों को रक्षासूत्र बांधकर बोले सिद्धार्थ त्रिपाठी, झारखंड ग्रामीण विकास का मॉडल है सिमरकुंडीपारलौकिक कार्यक्रम में देर शनिवार देर रात से ही 20-25 हजार से अधिक अनुयायी बिहार, बंगाल, असम से पहुंच चुके थे. आश्रम के निर्देश के अनुसार सभी अनुयायियों के चेहरे पर मास्क लगा था. वहीं, अधिक भीड़ कार्यक्रम स्थल पर नहीं हो, इसलिए आश्रम की ओर से आनंद बाजार के विशाल मैदान में दो LED के जरिए लाइव दर्शन की व्यवस्था की गयी थी. जिसमें सभी कार्यक्रमों का प्रसारण किया गया. आश्रम के अंदर बड़ दा बाड़ी में सभी क्रिया कर्म संपन्न हुआ. आश्रम में सिर्फ उन्हीं को प्रवेश की अनुमति दी जा रही थी जिन लोगों ने दो टीका लिया था.
कार्यक्रम के अंत में दोपहर बाद झारखंड सरकार के कृषि मंत्री बादल भी आश्रम पहुंचे और पारलौकिक कार्यक्रम में शरीक हुए. प्रमुख लोगों में सांसद आरके जेना, डॉ प्रभाकर मोहंती, केएन विश्वास, रिपम बेरा के अलावा कई जगह के विधायक, केरल से आइएएस इशिता राय, वेंकटेश शामिल थे. विधि-व्यवस्था बनाये रखने के लिये जगह-जगह दंडाधिकारी, पदाधिकारी व काफी संख्या में पुलिस बलों को भी ड्यूटी पर लगाया गया था.
Posted By: Samir Ranjan.