झारखंड के आदिवासियों की बांस की कलाकृतियां यूरोप के कई देशों में घर व ऑफिस की बढ़ा रही हैं शोभा

पहले ये आदिवासी परिवार परंपरागत तरीके से बांस, सूप, डाला व पंखा बनाकर आसपास के हाट-बाजार में बेचते थे. देवघर में हस्तशिल्प सेवा केंद्र को इसकी जानकारी मिलने के बाद पूरी टीम ने शिमला गांव में इन कारीगरों के साथ बैठक कर मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल द्वारा संचालित हस्तशिल्प सेवा की योजनाओं से इन्हें जोड़ा.

By Guru Swarup Mishra | December 4, 2022 11:54 AM
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Jharkhand News: भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल की मदद से हस्तशिल्प सेवा केंद्र द्वारा देवघर के पालोजोरी प्रखंड के शिमला गांव के आदिवासियों द्वारा निर्मित बांस की कलाकृतियां यूरोप के कई देशों के घर व ऑफिस की शोभा बढ़ा रही हैं. इनमें बांस से निर्मित यूटिलिटी प्रोडक्ट, होम डेकोर व इंटीरियर डेकोरेशन के प्रोडक्ट शामिल हैं. पालोजोरी प्रखंड के शिमला गांव में करीब 60 महिला व पुरुष बांस की कलाकृतियां बनाने में जुटे हैं. करीब 450 परिवार का भरण-पोषण इससे जुड़ा है.

ट्रेनिंग के बाद और खूबसूरत प्रोडक्ट होने लगे तैयार

पहले ये आदिवासी परिवार परंपरागत तरीके से बांस, सूप, डाला व पंखा बनाकर आसपास के हाट-बाजार में बेचते थे. देवघर में हस्तशिल्प सेवा केंद्र को इसकी जानकारी मिलने के बाद पूरी टीम ने शिमला गांव में इन कारीगरों के साथ बैठक कर मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल द्वारा संचालित हस्तशिल्प सेवा की योजनाओं से इन्हें जोड़ा. हस्तिशल्प सेवा केंद्र ने कारीगरों को पहले बांस की आधुनिक प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग विशेषज्ञों के माध्यम से दिलायी. ट्रेनिंग मिलने के बाद बांस से लैंपशेड, बास्केट, डेकोरेशन एंड स्टेशनरी, होम डेकोर व इंटीरियर डेकोरेशन का प्रोडक्ट कारीगरों द्वारा तैयार किया जाने लगा. इंटीरियर डेकोरेशन में बांस में लाइट को नयी-नयी डिजाइन के साथ बनाया गया. इन प्रोडक्ट को नेशलल व इंटरनेशल मार्केट मुहैया कराने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल से मान्यता प्राप्त कंपनी को जोड़ा गया.

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इंटरनेशल मार्केट से आदिवासियों की बदल रही जिंदगी

कंपनी के माध्यम से भारत के कई महानगरों के अलावा यूरोप के स्पेन, बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी आदि देशों के बाजारों में पालोजोरी प्रखंड के शिमला गांव में निर्मित बांस के प्रोडक्ट को उतारा गया. भारत के कई बड़े हस्तशिल्प मेला के माध्यम से इन देशों के ग्राहकों ने बांस से निर्मित प्रोडक्ट की खरीदारी की. पिछले दिनों दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व व्यापार मेला में कंपनी के माध्यम से पालोजोरी प्रखंड के शिमला गांव में निर्मित बांस की कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगायी गयी. इसमें बड़े पैमाने पर यूरोप के कई देशों से इन प्रोडक्ट की बुकिंग हुई है. इंटरनेशल मार्केट मिलने इन आदिवासियों का जीवन स्तर भी सुधर रहा है.

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ट्रेनिंग के बाद बाजार मिलने से आ रहा बदलाव

देवघर के हस्तशिल्प सेवा केंद्र के सहायक निदेशक भुवन भाष्कर ने कहा कि हस्तशिल्प सेवा केंद्र द्वारा देवघर के पालोजोरी प्रखंड के शिमला गांव के आदिवासियों द्वारा निर्मित बांस की कलाकृतियों को आधुनिक रूप दिया गया है. पहले यहां के कारीगर बांस के सूप व डाला तक सीमित थे, उन्हें आधुनिक ट्रेनिंग देने के बाद आदिवासी कारीगर बांस से लैंपशेड, बास्केट, डेकोरेशन एंड स्टेशनरी, होम डेकोर का प्रोडक्ट तैयार रह रहे हैं. इन कलाकृतियों को नेशनल व इंटरनेशल मार्केट से जोड़ा गया है. आने वाले दिनों संताल परगना के अन्य गांवों को भी मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल की योजना से जोड़कर मार्केट मुहैया कराया जायेगा.

रिपोर्ट : अमरनाथ पोद्दार, देवघर

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