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बसंत पंचमी पर बाबा बैद्यनाथ को चढ़ा तिलक, 26 को होगा विवाह, एक लाख से अधिक भक्तों ने किया जलार्पण

Basant Panchami in Baba Dham: बसंत पंचमी के दिन बाबा बैद्यनाथ को तिलक चढ़ाया गया. अब 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन बाबा भोलेनाथ और पार्वती का विवाह होगा. बसंत पंचमी के दिन 1 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा का जलाभिषेक किया.

Basant Panchami in Baba Dham: माघ मास शुक्ल पक्ष की बसंत पंचमी तिथि पर पूरे विधि-विधान व मंत्रोच्चार के साथ बाबा बैद्यनाथ को तिलक चढ़ाया गया. तिलकोत्सव संपन्न होने के 23 दिन बाद 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन बाबा भोलेनाथ और मां पर्वती का विवाह होगा. परंपरा के अनुसार, सोमवार देर शाम बाबा मंदिर परिसर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में बाबा भोले की तिलक पूजा की गयी. इससे पहले अहले सुबह सरदारी पूजा में बाबा को सरदार पंडा ने गुलाल अर्पित कर तिलक पूजा की शुरुआत की.

बाबा मंदिर इस्टेट की ओर से तिलक पूजा का आयोजन

सोमवार को बाबा मंदिर इस्टेट की ओर से बाबा भोलेनाथ की तिलक पूजा का आयोजन किया. सरदार पंडा की मौजूदगी में पूजा हुई. सबसे पहले शाम साढ़े सात बजे बाबा मंदिर का पट खोला गया. इसके बाद पुजारी चंदन झा ने बाबा की शृंगार पूजा की. बाबा का शृंगार दो चरणों में किया गया. बाबा को फूलेल लगाकर पहले चरण का शृंगार किया गया. उसके बाद मंदिर परिसर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में बाबा भोलेनाथ की विशेष तिलक पूजा की गयी.

फाल्गुन मास पूर्णिमा तक गुलाल चढ़ाने की परंपरा

उपचारक भक्तिनाथ फलहारी ने पूजा संपन्न करने में सहयोग किया. यहां तिलक पूजा के दौरान गुलाल सहित आम का मंजर आदि अर्पित करने के बाद आरती के साथ पूजा का समापन हुआ. उसके बाद पुजारी श्री झा ने बाबा मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश किया. यहां पर दो बार बाबा की शृंगार पूजा हुई. बाबा को चंदन लगाने के बाद उनको गुलाल चढ़ाकर उनका तिलक किया गया. आज से बाबा भोलेनाथ को फाल्गुन मास पूर्णिमा तक गुलाल चढ़ाने की परंपरा चलेगी.

बाबा को तिलक चढ़ते ही शुरू हो गयी मिथिला की होली

बसंत पंचमी पर बाबा के तिलकोत्सव के साथ ही मिथिला की होली भी प्रारंभ हो गयी. बाबा का तिलक होते ही बाबा नगरी पहुंचे तिलकहरुओं ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर खुशी मनायी. इस अवसर पर बाबा बैद्यनाथ की पूजा और जलार्पण करने के लिए बड़ी तादाद में शिवभक्त उमड़े. इसमें मिथिलांचल और नेपाल के भक्तों की तादाद अधिक थी. सोमवार को करीब एक लाख से अधिक लोगों ने जलार्पण किये. अहले सुबह से ही पूरा बाबा मंदिर परिसर मिथिलांचल के भक्तों से पटा रहा. इस दौरान भक्तों की कतार तकरीबन 4 से 5 किलोमीटर लंबी हो गयी.

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बसंत पंचमी पर उमड़ी भक्तों की भीड़

बसंत पंचमी पर बाबा मंदिर में हजारों श्रद्धालु पहुंचे. बाबा मंदिर परिसर स्थित सरस्वती मंदिर और बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग पर सुबह से ही श्रद्धालु जलाभिषेक कर बेहतर भविष्य की कामना करते दिखे. मंदिर आये श्रद्धालुओं ने कहा कि पुरानी परंपरा के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मिथिलांचल से आये लोग भगवान भोलेनाथ का तिलक और जलाभिषेक करते हैं.

बच्चे बोले – आज पूजा करने से पूरी होती है हर मनोकामना

बच्चों ने कहा कि आज के दिन भगवान भोलेनाथ के मंदिर में पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है. मंदिर के पुरोहित बाबा झा ने कहा कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भीड़ देखने को मिल रही है. कुंभ का असर इस मेले पर भी हुआ है. हर साल की अपेक्षा कांवरियों की संख्या में 60 फीसदी कमी रही. जिला प्रशासन आए भक्तों को कतार में लगाकर श्रद्धालुओं को जलाभिषेक करने के लिए मंदिर के अंदर गर्भगृह में भेजने की व्यवस्था पट बंद होने तक जारी रही.

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श्रावणी से प्राचीन मेला है बसंत पंचमी का मेला

बसंत पंचमी का मेला सावन के मेले से भी प्राचीन है. बसंत पंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के तिलक महोत्सव का आयोजन होता है. इस वर्ष शिवरात्रि को लेकर भी जिला प्रशासन और पंडा धर्मरक्षिणी की तरफ से व्यापक इंतजाम किये जा रहे हैं. बसंत पंचमी पर होने वाली भीड़ को लेकर जिला प्रशासन की तरफ से भी पर्याप्त इंतजाम किये गये थे. जगह-जगह बैरिकेडिंग करके श्रद्धालुओं को सुविधा दी जा रही है. इसी के साथ सभी मुख्य चौक-चौराहों पर पुलिस की भी तैनाती की गयी है,

साढ़े चार हजार भक्तों ने लिया कूपन

बसंत पंचमी के दिन सुबह चार बजे से शाम साढ़े छह बजे तक बाबा का पट खुला रहा. इस दौरान एक लाख से अधिक भक्तों ने जलार्पण किया. इस दौरान कूपन का रेट भी अन्य दिनों की अपेक्षा दोगुना था. बसंत पंचमी के दिन प्रति व्यक्ति 600 रुपए की दर से कूपन जारी हुआ. इस व्यवस्था के तहत 4469 लोगों ने मंदिर प्रशासनिक भवन के रास्ते से जलार्पण किया. इस व्यवस्था के तहत मंदिर को 26,81,400 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है.

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