रोग को मिटाने की बहुत बड़ी औषधि है भागवत कथा : आचार्य रामानुज शरण
मधुपुर के मीना बाजार स्थित नापितपाड़ा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में वाराणसी के कथावाचक आचार्य रामानुज शरण ने शौनकादि ऋषि द्वारा श्री सूत जी से किये गये छह प्रश्न के साथ भागवत जी की रचना के विषय में बताया
मधुपुर. शहर के मीना बाजार स्थित नापितपाड़ा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन मंगलवार को कथा में वाराणसी के कथावाचक आचार्य रामानुज शरण ने शौनकादि ऋषि द्वारा श्री सूत जी से किये गये छह प्रश्न के साथ भागवत जी की रचना के विषय में बताया. भागवत जी के आश्रय के साथ देवर्षि नारद और व्यास संवाद में कहा जो भागवत भगवान के चरण शरण ग्रहण करते हैं चाहे वह कितना ही आदम पतित से पतित क्यों न हो भगवान उसे अपना लेते है. उदाहरण के रूप में दासी पुत्र नारद भगवान की आराधना कर अगले जन्म में ब्रह्मपुत्र नारद बनकर आये साथी आगे के प्रसंग में द्रोण पुत्र अश्वत्थामा के दंड साथ उत्तरा देवी के गर्व की रक्षा के साथ कुंती स्तुति आदि प्रसंगों को गया. भीष्म मोक्ष आदि की कथा सुनाई सारे रूप में महाराज ने कहा भगवान की कथा पवनों को तो पवन करती ही है. यह कथा पतितों का भी उद्धार करती है. उन्होंने कहा कि जो मानव सदा पापाचार में संयुक्त रहते हैं जीवन में कभी कोई सत्कर्म नहीं किया वह प्राणी मरने के बाद भी कदाचित उसके निमित्त भागवत की कथा हो जाये या कराई जाये तो कथा की यह महिमा है कि उसको परम गति की प्राप्ति हो जाती है. इसीलिए जहां भी कहीं भगवान की कथा की जाये हमें कथा का रसास्वादन अवश्य करना चाहिए. कहा कि कथा श्रवण मात्र से ही रोग को मिटाने की बहुत बड़ी औषधि है भागवत की कथा है. कथा में पूर्व मंत्री राज पलिवार भी शामिल होकर कथा का सुना व आशीर्वाद लिया. मौके पर पारायण कर्ता आचार्य मुकुंद पांडेय, यजमान राजेंद्र प्रसाद तिवारी, प्रभावती देवी समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है