देवघर : बालू माफियाओं पर शिकंजा, पर्यावरण के नुकसान पर देना पड़ सकता है पांच करोड़ तक जुर्माना

अवैध खनिज पदार्थ (बालू या अन्य) की ढुलाई मामले में देश की सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने भी एनजीटी बनाम बीरेंद्र कुमार के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि अवैध खनिज ढुलाई के जुर्म में पकड़ाये जाने पर जुर्माना के तौर पर बालू के नुकसान की राशि व उससे जुड़े टैक्स की राशि लेनी ही है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 30, 2024 4:16 AM

देवघर : अब बालू माफियाओं की खैर नहीं, बालू की अवैध ढुलाई व तस्करी करते हुए पकड़े जाने पर खनन विभाग द्वारा बालू की क्वांटिटी के हिसाब से तय जुर्माने के साथ-साथ अब पर्यावरण को हुए नुकसान की भी भरपाई करनी होगी. इसके लिए मोटी रकम तय की गयी है. मौजूदा समय में नुकसान की राशि अधिकतम एक लाख से बढ़कर अब पांच करोड़ तक प्रस्तावित की गयी है. साथ ही समय पर जुर्माने की राशि नहीं चुकाने पर आर्थिक दंड भी प्रतिदिन पांच हजार रुपये से बढ़कर प्रतिदिन 50 हजार से पांच लाख रुपये तक का होगा. पर्यावरण से जुड़े नियमों को तोड़ने वालों पर सरकार अब कड़े कदम उठाने की तैयारी में है. वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण जैसे नियमों में बड़े बदलावों का मसौदा तैयार किया है, जिसके तहत पर्यावरण संबंधी नियमों को तोड़ने वालों को भारी जुर्माना भरना होगा. ऐसा नहीं करने वालों को कोर्ट से जमानत तक मिलने में भी फजीहत उठानी पड़ेगी. विशेषज्ञों की मानें तो मसौदे को तैयार करने में केंद्र सरकार ने राज्यों की भी राय ली है. सभी राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से इस संबंध में जानकारी मांगी गयी थी. इसके साथ ही पर्यावरणविदों से भी इसे लेकर चर्चा की गयी. सभी का मानना था कि जुर्माने की राशि में भारी बढ़ोतरी से ही पर्यावरण नियमों के हो रहे उल्लंघन को रोका जा सकता है.

एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है फैसला

अवैध खनिज पदार्थ (बालू या अन्य) की ढुलाई मामले में देश की सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने भी एनजीटी बनाम बीरेंद्र कुमार के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि अवैध खनिज ढुलाई के जुर्म में पकड़ाये जाने पर जुर्माना के तौर पर बालू के नुकसान की राशि व उससे जुड़े टैक्स की राशि लेनी ही है, साथ ही जिला स्तर पर गठित कमेटी (पर्यावरण व प्रदूषण से जुड़े विशेषज्ञ ) पर्यावरण को होने वाले नुकसान के एवज में जुर्माना तय करेगी. कमेटी यह तय करेगी कि आखिर अवैध रूप से ढुलाई करने या तस्करी करने वाले शख्स द्वारा पर्यावरण या वातावरण को कितना नुकसान पहुंचाया गया है? सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा है कि अवैध तरीके से खनिज पदार्थ की हेराफेरी से पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचता है, जिसकी भरपाई आने वाली पीढ़ियों को उठानी पड़ेगी. पेनाल्टी ही पर्याप्त नहीं है. इस मसले पर पर्यावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई भी जरूरी है.

क्या है मसौदे में

– मंत्रालय ने अपने मसौदे में इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए अलग से कोष भी निर्मित करने का प्रस्ताव दिया है.

– यह कोष जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण सभी के लिए अलग-अलग होगा, जिसमें इससे जुड़े नियमों को तोड़ने वालों से वसूली जाने वाली जुर्माने की राशि जमा करायी जायेगी. इस राशि को इससे प्रभावित लोगों के बीच खर्च किया जायेगा.

– मंत्रालय ने इस बीच पर्यावरण संबंधी नियमों को तोड़ने पर जुर्माने के साथ ही जेल की सजा के प्रावधान को सीमित किया है. यानी सभी मामलों में सजा नहीं होगी बल्कि भारी जुर्माना लगाया जायेगा. साथ ही इसे समय पर न देने पर प्रतिदिन का आर्थिक दंड भी लगेगा. कुल दंड अधिकतम 10 करोड़ तक होगा.

– साथ ही तीन सालों के भीतर इसे नहीं चुकाया गया, तो जुर्माने के साथ जेल की सजा भी होगी. जो पहले पांच साल की और बाद में सात साल तक की होगी. फिलहाल ऐसे में मामलों में अधिकतम छह महीने से एक साल तक की ही सजा का प्रावधान था.

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