18 राज्यों में दर्ज मामले का साइबर अपराधी सद्दाम अंसारी देवघर से गिरफ्तार, ऐसे लगाता था लोगों को चूना

18 राज्यों के 352 साइबर ठगी मामले का आरोपी सद्दाम अंसारी देवघर से गिरफ्तार हो चुका है. सभी राज्यों की पुलिस उसे ट्रेस करने में लगी हुई थी. उनके पास से लैपटॉप समेत कई अन्य चीजें बरामद हुई है

By Prabhat Khabar News Desk | February 20, 2022 10:12 AM

देवघर : 18 राज्यों के 352 साइबर ठगी मामले का आरोपी सरगना सद्दाम अंसारी को देवघर की साइबर पुलिस ने करौं थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया है. वह करौं के करहैया गांव का रहनेवाला है. सद्दाम ने जिस मोबाइल नंबर से साइबर ठगी को अंजाम दिया है, उस नंबर पर सभी 18 राज्यों में कुल 352 केस दर्ज हैं. साथ ही इन सभी राज्यों की पुलिस उसे ट्रेस करने में लगी हुई थी.

एसपी धनंजय कुमार सिंह को गुप्त सूचना मिलने पर साइबर डीएसपी सुमित प्रसाद के नेतृत्व में छापेमारी कर सद्दाम को करौं स्थित पेट्रोल पंप के पास गिरफ्तार किया गया है. उसके पास से तीन मोेबाइल, 12 सिम कार्ड व एक लैपटॉप बरामद किया गया. साइबर डीएसपी सुमित प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पुलिस ने सद्दाम के गैंग के करीब 100 सदस्यों की पहचान कर ली है.

सद्दाम के ठगी की कमाई का 35 फीसदी पैसा फर्जी एकाउंट सप्लायर व 40 फीसदी गैंग केे सदस्यों को जाता था व शेष 25 फीसदी राशि खुद रखता था. डीएसपी ने बताया कि सद्दाम के गैंग के सदस्यों की सूची तैयार कर ली गयी है. एसपी के निर्देश पर देवघर के साइबर ठगों के मुख्य सरगना की सूची भी तैयार की गयी है. सद्दाम पर देवघर साइबर थाना में भी केस दर्ज है.

ऐसे करता था ठगी :

सद्दाम अंसारी ने गूगल सर्च इंजन पर एसबीआइ, आइसीआइसीअाइ बैंक कस्टमर केयर हेल्पलाइन सर्विस का एड डालकर अपना फर्जी मोेबाइल नंबर सेट किया था. इस हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने वाले ग्राहकों का फोन नंबर अपने गिरोह के साइबर ठगों के पास फॉरवर्ड कर देता था. बाद में आम लोगों से प्राप्त नंबरों पर कॉल कर ठगी कर ली जाती थी.

ई-वालेट के जरिये भी की जाती थी ठगी :

डीएसपी ने बताया कि सद्दाम फोन पे कस्टमर को कैश बैक का रिक्वेस्ट भेजकर व विभिन्न ई-वॉलेट जैसे पेयू मनी, फ्री चार्ज, धनी पे, गेमिंग एप ड्रीम 11 व स्कील कैश के माध्यम से भी साइबर ठगी करता था. फर्जी बैंक अधिकारी बनकर कॉल कर ओटीपी प्राप्त कर व फोन पे व पेेटीएम में पीड़ित का एटीएम कार्ड नंबर को एड मनी कर ओटीपी लेकर ठगी करता था. साथ ही टीम व्यूवर व क्विक सपोर्ट जैसे रिमोट एक्सेस एप इंस्टॉल करवाकर पीड़ित के मोबाइल नंबर पर आये ओटीपी को अन्य मोबाइल नंबर पर एक्सेस कर साइबर ठगी का काम गिरोह के सदस्यों से करवाता था.

Posted By : Sameer Oraon

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