सारठ . निर्माणधीन ग्रिड स्थल पर नौ करोड़ की मशीन के जलकर राख होने के मामले में बिजली विभाग के अधिकारियों की ओर से घटना के कारणों का पता लगाने के मामले में चुप्पी साधना चर्चा का विषय बना हुआ है. लगभग 38 करोड़ की लागत से पांच वर्षों पूर्व शुरू हुए 132/ 33 क्षमता के ग्रिड निर्माण का ठेका बीजीआर एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को ऊर्जा विभाग ने आवंटित किया था, पांच साल पहले ग्रिड के लिए काम शुरू हुआ, जिसे दो वर्षों में ही पूरा हो जाना था. लेकिन करोड़ों भुगतान होने के बाद भी आज तक सिविल वर्क का 50 प्रतिशत काम भी पूरा नहीं हुआ है. संवेदक के समय पर कार्य पूरा नही कर पाने पर विभाग ने दो साल का समय विस्तार भी दिया था और 16 दिसंबर 24 तक काम पूरा करने का समय दिया था.. बावजूद कार्य में गति धीमी रही, जिसके बाद विभाग ने संवेदक को हटाने की प्रक्रिया की. वहीं संवेदक न्यायालय की शरण में चले गये. मामले में महाप्रबंधक ( संचरण ) शिव शरण सिंह ने बताया कि हटाने की कार्यवाही की गयी है, लेकिन संवेदक मामला कोर्ट में बता हैंडओवर नहीं किया है. वहीं पूर्व विधायक रणधीर सिंह ने सवाल उठाया है कि एक वर्ष से जब काम बंद था तो करोड़ों की मशीन का रखरखाव लापरवाही से क्यों किया जा रहा था. उन्होंने घटना की जांच कराने की मांग की है. वहीं कहा कि करोड़ों के नुकसान की जिम्मेवारी किस पर तय होगी. इधर निर्माण एजेंसी ने साफ किया है. यह मामला न्यायालय के अधीन है और आग में क्या-क्या जला है इसका एसेसमेंट किया जा रहा है. बहरहाल संवेदक की लापरवाही और विभाग की अदूरदर्शिता के कारण 38 करोड़ की लागत से निर्माणधीन पावर ग्रिड का सपना सारठ के लिये सपना ही रह गया है.
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