देवघर की स्थायी लोक अदालत में हर महीने आ रहे औसतन 100 मामले, 15 फीसदी का ही हो रहा निबटारा

देवघर जिले में आम नागरिकों को त्वरित एवं नि:शुल्क न्याय दिलाने के लिए स्थायी लोक अदालत यानी पीएलए का गठन हुआ है. लोक अदालत के बारे में लोगों को तो जानकारी है, मगर स्थायी लोक अदालत के बारे में शायद बहुत कम ही लोग जानते हैं.

By Rahul Kumar | November 2, 2022 1:44 PM

देवघर जिले में आम नागरिकों को त्वरित एवं नि:शुल्क न्याय दिलाने के लिए स्थायी लोक अदालत यानी पीएलए का गठन हुआ है. लोक अदालत के बारे में लोगों को तो जानकारी है, मगर स्थायी लोक अदालत के बारे में शायद बहुत कम ही लोग जानते हैं. इसके पीछे प्रचार-प्रसार की कमी या फिर जागरुकता का अभाव है. देवघर में हर महीने औसतन 100 से अधिक मामले स्थायी लोक अदालत की बेंच के समक्ष दाखिल हो रहे हैं, जबकि औसतन 15 फीसदी का ही निष्पादन हो पा रहा है.

कई मामलों को होता है निपटारा

विधिक सेवा प्राधिकरण की नियमावली के तहत मामलों की सुनवाई के लिए बेंच बनाया गया है. अधिनियम के दायरे में पहले सार्वजनिक उपयोगिता से जुड़ी सेवाएं परिवहन, डाक, टेलीग्राफ आदि के मामलों की सुनवाई निर्धारित थी. इधर पीएलए में बिजली, जलापूर्ति, रोशनी, अस्पताल, औषधालय, बीमा सेवाएं, शिक्षण संस्थानों, बैंक ऋण आदि के मामलों की सुनवाई को शामिल किया गया है. आवेदकों के आवेदन आधार मानकर इसे प्री-लिटिगेशन के तौर पर दर्ज किये जाते हैं और विपक्षियों को पीएलए से नोटिस भेजा जाता है. इसके बाद दोनों पक्षों की मौजूदगी में मामले की सुनवाई कर निबटारा किया जाता है. सामान्य तौर पर मामलों की त्वरित सुनवाई कर तीन माह के अंदर पीड़ित पक्ष को विवादों से मुक्ति दिलाने का है.

बिना शुल्क के मिलता है न्याय

विधि सेवा प्राधिकरण की नियमावली 1987 की धारा 22 बी के तहत पीएलए गठन की शक्तियां प्रदान की गयी हैं. इसके तहत हर जिले में स्थायी लोक अदालत के गठन का प्रावधान किया गया है. इसमें रिटायर्ड न्यायिक पदाधिकारी अध्यक्ष होते हैं एवं बेंच में दो सदस्य होते हैं. सप्ताह में तीन दिन सुनवाई का प्रावधान है. प्रावधानों के तहत देवघर सिविल कोर्ट कैंपस स्थित न्याय सदन में फिलहाल स्थायी लोक अदालत हैं जहां पर पक्षकार खुद आवेदन दे सकते हैं एवं अपना पक्ष रख सकते हैं. पक्षकारों को अधिवक्ता के माध्यम से उपस्थिति की अनिवार्यता नहीं है और न ही कोर्ट फी स्टांप लगते हैं. बिना शुल्क के त्वरित न्याय पाने का यह सरल माध्यम है.

ये हैं फोरम अध्यक्ष

वर्तमान में रिटायर्ड न्यायिक पदाधिकारी महेश प्रसाद यादव इस फोरम के अध्यक्ष महेश प्रसाद यादव हैं. जबकि, ज्योति कुमारी व अजीत कुमार सिन्हा सदस्य के तौर पर नियुक्त हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार पीएलए में मामलों का ग्राफ 1000 तक पहुंच गया है. इसे औसतन प्रतिमाह देखा जाय तो सौ मामले आते हैं जिसमें से हर माह 15 से अधिक मामलों का निष्पादन सुलह के आधार पर हो रहा है. अब तक दो सौ के लगभग विवादों का निष्पादन हो चुका है, जबकि आठ सौ के लगभग मामले विचारधीन हैं जिसमें से बैंक से ऋण लेने वाले खाताधारकों को ज्यादा हैं.

कहते हैं बेंच के अधिकारी

इस फोरम में प्री-लिटिगेशन के मामलों की सुनवाई का दायरा बढ़ा है, लेकिन सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को और अधिक जागरूक होने की जरूरत है. लोग जागरूक होंगे तो न्यायालयों में केस का बोझ घटने की पूरी संभावना बनती है.

महेश प्रसाद यादव, पीएलए अध्यक्ष

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