दुर्गापूजा के दौरान पूजा पंडालों में स्थापित मां दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं श्रद्धा का केंद्र होती हैं. लाखों रुपये खर्च कर कुशल कारीगरों द्वारा महीनों किये गये श्रम से मां की मनभावन मूर्तियां बनायी जाती हैं. बाबानगरी देवघर में बहुतेरे पंडालों में आकर्षक मूर्तियां स्थापित की गयी हैं. इस बार कृष्णापुरी दुर्गापूजा पंडाल में वृंदावन के प्रेम मंदिर को बनाया गया है. यहां आनेवाले भक्तों को माता के दिव्य रूप के दर्शन के साथ-साथ राधा-कृष्ण की नगरी वृंदावन में होने का भी अहसास होता है. वहीं दिनबंधु स्कूल से आगे जय हिंद क्लब के पूजा पंडाल को केदारनाथ मंदिर का रूप दिया गया है. यहां पर स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा पर अप्रतीम है. यही नहीं यहां 12 ज्याेतिर्लिंग को भी दर्शन के लिए रखा गया है. वहीं अपर बिलासी में दक्षिण भारत के स्वर्ण मंदिर को पंडाल के रूप बनाया गया है. इसके अलावा बरनवाल सेवा सदन में बने पंडाल भी काफी आकर्षक हैं. वहीं झौंसागढ़ी में गोशाला, आरएल सर्राफ स्कूल के पीछे, करनीबाग, धोबिया टोला आदि स्थानों पर बने पूजा पंडाल भी काफी आकर्षक हैं. बाबानगरी देवघर में कई पूजा पंडालों में कोलकाता से लायी गयी मिट्टी का ही प्रयोग कर मूर्तिकार मां दुर्गा की छवि गढ़े हैं. महाष्टमी पर इन पूजा पंडालों में भक्तोंं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी.
घड़ीदार घर में डलिया चढ़ाने के लिए लगी लंबी कतार
शहर के सबसे प्राचीन मंडपों में शामिल घड़ीदार मंडप में डलिया चढ़ाने के लिए महिलाओं की लंबी कतार लगी थी. सुबह से ही दो किलामीटर तक लंबी कतार देखी गयी. महिलाओं ने यहां डलिया चढ़ाकर माता रानी से मंगलकामना की.
पूरे परिवार के साथ पंडालों में विराजी हैं मां दुर्गा
पूजा पंडालों में मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा के साथ अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाती हैं. मान्यता है कि देवी मां अपने महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के स्वरूप में गणपति और कार्तिकेय को लेकर दुर्गा पूजा में पूरे 10 दिनों के लिये पीहर आती हैं. यही कारण है कि दुर्गा पूजा में मां दुर्गा के साथ श्रीगणेश, भगवान कार्तिकेय, देवी सरस्वती और मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है.
Also Read: देवघर में दुर्गा पूजा में मनचलों पर रहेगी विशेष निगरानी, सादे लिबास में चप्पे चप्पे पर मौजूद रहेगी पुलिस