देवघर: स्वच्छता को बनाये रखने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत लगातार अभियान चलाया जाता है. लोगों को अपने घरों के आसपास साफ-सफाई बनाये रखने की नसीहतें दी जाती हैं. नगर निगम भी शहर को स्वच्छ बनाये रखने का दावा भी करता है, लेकिन यह दावा सिर्फ दावा ही रह गया है. धरातल पर कहीं भी हकीकत नजर नहीं आती है. देवघर नगर निगम कार्यालय के समीप सरकारी बस डिपो कैंपस का कचरा ट्रांसफर स्टेशन स्थानीय लोगों के लिए ना सिर्फ जी का जंजाल बना हुआ है, बल्कि आवारा पशुओं के साथ असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है. सालों भर स्थानीय लोगों को दुर्गंध का सामना करना पड़ता है. बारिश के मौसम में यह कचरा खुली सड़कों पर पसर जाता है.
मिली जानकारी के अनुसार, देवघर नगर निगम के द्वारा सफाई एजेंसी एमएसडब्ल्यूएम को यहां कचरा ट्रांसफर स्टेशन बनाने की अनुमति दिसंबर 2022 में दी गयी थी. शहर के विभिन्न हिस्सों से हर दिन 15-16 ट्रैक्टर कचरा यहां अनलोड किया जाता है. पुन: हर रोज छह से आठ कंपेक्टर के द्वारा पछियारी कोठिया ले जाया जाता है. पिछले वर्ष दिसंबर में एजेंसी के सफाई कर्मचारियों की करीब 15 दिन तक हड़ताल थी. नतीजा हड़ताल अवधि का 600 टन से ज्यादा कचरा अब भी इस डिपो में पड़ा हुआ है. यहीं नहीं अभी भी हर दिन औसतन 15 ट्रैक्टर कूड़ा कचरा यहां हर रोज अनलोड किया जा रहा है. वहीं कंपेक्टर से पछियारी कोठिया ले जाने का काम सुस्त गति से होने की वजह से कचरा का उठाव तेजी से नहीं हो रहा है.
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शहर के रिहायशी इलाके में कचरा ट्रांसफर स्टेशन बनाये जाने की वजह से यहां कचरा, पॉलिथीन, प्लास्टिक चुनने वाले हर उम्र के लोगों की भीड़ लगी रहती है. कचरा चुनने वालों में खास कर छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल रहते हैं. जेसीबी वाहन से कचरा का उठाव किये जाने के कारण हर वक्त दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है. बीते शुक्रवार को हादसे में एक बच्चे की जान चली गयी थी, बावजूद इस दिशा में अबतक कोई ठोस पहल नहीं की गयी है.
लगातार सड़ाध की बदबू आने की वजह से लोगों की तबीयत बिगड़ रही है. संक्रमण के साथ सांस लेने में भी परेशानी हो रही है. वृद्ध व अस्थमा पीड़ित लोगों की दिनचर्या पूरी तरह से बिगड़ गयी है. स्थानीय लोगों के द्वारा शिकायत किये जाने के बाद भी नगर निगम के द्वारा अबतक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी है. यह रोड़ शहर की हृदयस्थली टावर चौक व देवघर कॉलेज को जोड़ती है. यहां दिन व रात हर वक्त लोगों का आवागमन होता है. तीर्थनगरी होने के साथ श्रद्धालुओं के साथ पर्यटकों का आवागमन हर वक्त होता है.
एजेंसी के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से यहां 600 टन से ज्यादा कचरा शहर की घनी आबादी के बीच पड़ा हुआ है. आंकड़ों पर गौर करें तो हर दिन 15 से 16 ट्रैक्टर कचरा यहां अनलोड किया जाता है. औसतन एक ट्रैक्टर में 2.5 टन कचरा होता है. इस प्रकार हर दिन 37.50 टन से 40 टन कचरा यहां डंप किया गया. 15 दिन में 562.50 टन से 600 टन कचरा यहां डंप किया गया है.