देवघर के सरकारी स्कूलों का पैसा खाते में पड़ा रहा गया, बच्चों को नहीं मिली पाठ्य सामग्री

राज्य सरकार की विद्यालय किट योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को पाठ्य सामग्री तय समय पर नहीं उपलब्ध करायी गयी. सरकारी स्कूलों का पैसा खाते में पड़ा रहा गया पर बच्चों को पाठ्य सामग्री नहीं मिल सकी.

By Rahul Kumar | November 2, 2022 2:10 PM

राज्य सरकार की विद्यालय किट योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को पाठ्य सामग्री तय समय पर नहीं उपलब्ध करायी गयी. इस कारण शिक्षण सामग्रियां वितरित कर उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं जमा कराया जा सका. दरअसल, बच्चों को सहायक स्टेशनरी सामग्री पेन, पैंसिल, रबर, कटर व इंस्ट्रूमेंट बॉक्स अक्तूबर महीने के अंत तक उपलब्ध करा देना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

क्या है मामला

जानकारी के मुताबिक, सभी स्कूलों के विद्यालय प्रबंधन समिति के खाते में 15 अक्तूबर को ही राशि उपलब्ध करा दी गयी थी. समग्र शिक्षा अभियान के डीपीओ सह डीइओ ने सभी बीइइओ समेत बीपीओ के अलावा संबंधित स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को इस संबंध में पत्र भेजकर जानकारी दी थी. पहली व दूसरी कक्षा के प्रति विद्यार्थी पेन, पैंसिल, रबर व कटर के लिए 25 रुपये की दर से रुपये दिये गये हैं. वहीं, तीसरी से पांचवीं के लिए पेन, पैंसिल, रबर, कटर के लिए 50 रुपये व इंस्ट्रूमेंट बॉक्स के लिए 30 रुपये और छठी से आठवीं तक के लिए प्रति विद्यार्थी पेन, पैंसिल, रबर, कटर के लिए 75 रुपये व इंस्ट्रूमेंट बॉक्स के लिए 30 रुपये एसएमसी के खाते में भेजी गयी है.

इतनी राशि मिली

जिले भर में पहली-दूसरी कक्षा के 1,68,025, तीसरी से पांचवीं के 10,07,920 व छठी से आठवीं के 12,85,305 विद्यार्थियों के लिए 24,61,250 रुपये संबंधित स्कूलों के एसएमसी खाते में ट्रांसफर किये गये हैं. स्कूलों के पहली से आठवीं के विद्यार्थियों के बीच किट वितरित कर उपयोगिता प्रमाणपत्र भी 30 अक्तूबर तक समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय में जमा कराना था. उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा कराना दूर, किंतु किसी स्कूल में अब तक किट वितरित ही नहीं किया गया है.

क्या कहते हैं स्कूलों के प्रधानाध्यापक

स्कूलों के प्रधानाध्यापकों से पूछने पर बताया कि 15 अक्तूबर को खाते में राशि आयी है. एसएमसी की बैठक बुलाकर प्रस्ताव लेना, फिर कोटेशन मंगाकर सामान की गुणवत्ता को देखते हुए सामान की खरीद करना और बच्चों के बीच सामग्री का वितरण कर पाना इतने कम समय में संभव नहीं हो सका. वहीं बीच में तीन रविवार की छुट्टी व छठ-दीपावली की छुट्टी भी हुई. ऐसे में इतने कम समय में बच्चों के बीच शिक्षण सामग्रियां वितरित कर उपयोगिता प्रमाणपत्र समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय में जमा कर पाना संभव नहीं हुआ. इस संबंध में पक्ष लेने के लिए डीइओ सह डीपीओ वीणा कुमारी से बात करने की कोशिश की गयी, लेकिन उन्होंने कॉल रिसिव नहीं की.

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