देवघर : अयोध्या में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे के नेतृत्व में गोड्डा संसदीय क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जमकर उत्साह मनाया. सांसद डॉ दुबे का आवास शिवधाम को दुल्हन की तरह सजाया गया व श्री राम मंदिर को भव्य स्वरूप देकर गेट बनाया गया. अपने घर में दीप जलाने के बाद सांसद डॉ निशिकांत दुबे कुल 25 मंदिरों में श्री राम ज्योति जलाये. इसमें हदहदिया पुल चौक हनुमान मंदिर, बाबा बैद्यनाथ मंदिर, सद्भावना मंदिर ठाढ़ीदुलमपुर, कुंडा थाना के बगल बजरंग बली मंदिर, श्यामा साउंड कुंडा मंदिर, बंधा दुर्गा मंदिर, झौंसागढ़ी बरगाछ हनुमान मंदिर, स्टेशन रोड शनि मंदिर, शिवलोक परिसर, बाघमारा बजरंग बली मंदिर, चकाई मोड़ हनुमान मंदिर,जसीडीह दुर्गा मंदिर, हनुमान नगर व बरमसिया दुर्गा मंदिर आदि जगहों पर सांसद ने दीप जलाये. कई मंदिरों के पास आतिशबाजी के साथ युवाओं ने सांसद का स्वागत किया व जय श्री राम के नारे लगाये. टावर चौक पर सांसद ने खुशी में लड्डू बांटे.
टावर चौक के समीप भाजपा कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त तैयारी की थी. सांसद ने यहां दीप जलाकर युवाओं में ऊर्जा भरने का काम किया, उसके बाद सभी युवा डीजे पर श्री राम की धुन व जय श्री राम के गीत पर देर शाम तक झूमते. यहां भारी संख्या में महिला भाजपा कार्यकर्ता भी थीं. टावर चौक दीप जलाने के बाद सांसद ने डॉ दुबे पदयात्रा करते हुए आजाद चौक से शिवलोक तक गये. इस दौरान शीतला मंदिर, आजाद चौक व बाजार में जगह-जगह श्री राम की पूजा प्रसाद वितरण कर रहे थे. सांसद ने बाजार के लोगों ने जय श्री राम के नारे के साथ स्वागत किया व सांसद ने सभी को इस ऐतिहासिक क्षण की शुभकानााएं दी. इस मौके पर रीता चौरसिया, पंकज सिंह भदौरिया, विजया सिंह, अभयानंद झा, मुकेश पाठक, देवता पांडेय, पिंटू तिवारी, हरिकिशोर सिंह आदि थे.
सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने कहा कि पूरे गोड्डा लोकसभा से लेकर पूरा देश अमेरिका, चाइना, मॅारिशस सहित चारों तरफ जश्न ही जश्न है. मैंने इतनी ऊर्जा कभी लोगों में नहीं देखी. श्री राम ऊर्जा व भावना के प्रतीक हैं. 500 साल के बाद रामलला स्थापित हुआ है. सांसद ने कहा कि 1947 से जिस तरह की तुष्टिकरण की राजनीति चल रही थी. उसमें यह लगता था कि शायद हमलोग यह दिन नहीं देख पायेंगे, क्योंकि हमारी पीढ़ी की पीढ़ी बीत गयी व उनलोगों यह दिन नहीं देखा. पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 में नीति बनायी तथा जिस तरह की यह नीति है और सुप्रीम कोर्ट ने यह तय किया कि अयोध्या में यह रामजन्म भूमि है. यहीं राम पैदा हुए थे. बगैर किसी खून खराबे के श्री राम का मंदिर बन गया. रामचरित मानस भी यह बताता है कि मां, पिता व भाई के साथ क्या रिश्ता होना चाहिए. भगवान श्री राम की यही मर्यादा हमेशा प्रभावित करती है. रामचरित मानस की त्याग, तपस्या व बलिदान भारत की जन भावना में है.
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