देवघर : देवोत्थान एकादशी आज तुलसी विवाह का भी आयोजन, जानें क्या है महीमा
बाबा मंदिर सहित हर घर में रात को भगवान नारायण की पूजा होगी. उसके पहले महिलाएं शिवगंगा या फिर स्थानीय नदी-तालाब जाकर दीप दान कर पानी में प्रवाहित करेंगी. मान्यता है कि, शाम को भगवान जगने के बाद जल से पृथ्वी पर आयेंगे.
देवघर : कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी पर गुरुवार को देवोत्थान एकादशी मनाया जायेगा. आज ही के दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन होगा. शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु चार माह शयन के बाद जागते हैं. इसके बाद से ही सारे शुभ लगन प्रारंभ हो जाते हैं. यह सभी 24 एकादशी में सबसे शुभ और मंगलकारी माना गया है. इस एकादशी को देवोत्थान एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा गया है. भगवान विष्णु के शयन के दौरान चार महीने तक मांगलिक कार्य नहीं होता है. वहीं, गुरुवार को घरों व पूजा स्थलों पर तुलसी विवाह का आयोजन किया जायेगा. तुलसी के पौधे और शालीग्राम का यह विवाह बड़े ही धूमधाम से किया जाता है. तुलसी को विष्णु प्रिया भी कहा गया है, इसलिए देवता जब जागते हैं तो सबसे पहली प्रार्थना हरिवल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं. पंडित संजय मिश्र बताते हैं कि, शास्त्रों में कहा गया है कि जिन दंपतियों की कन्या नहीं होती, वे जीवन में एक बार तुलसी का विवाह आयोजन जरूर करें. इससे उनको कन्यादान का फल मिलेगा.
भगवान नारायण की होगी पूजा
बाबा मंदिर सहित हर घर में रात को भगवान नारायण की पूजा होगी. उसके पहले महिलाएं शिवगंगा या फिर स्थानीय नदी-तालाब जाकर दीप दान कर पानी में प्रवाहित करेंगी. मान्यता है कि, शाम को भगवान जगने के बाद जल से पृथ्वी पर आयेंगे. उनके स्वागत में दीप जलाया जायेगा. उसके बाद बाबा मंदिर सहित हर घर में रात को शालीग्राम की विशेष पूजा एवं शंख घंटी की गूंज के साथ जाग्रे कु जाग्रे …. मंत्रोच्चार कर भगवान नारायण को जगाया जायेगा. इसके लिए लोग दिन भर व्रत में रहेंगे वहीं रात को पूजा के बाद फलाहार का सेवन करेंगे.
बाबा मंदिर में उमड़े भक्त, अनुष्ठान भी हुए
देवघर में बुधवार को बाबा पर जलाभिषेक करने और अनुष्ठान कराने के लिए बाबा मंदिर में बड़ी तादाद में भक्त पहुंचे. कार्तिक मास में अनुष्ठान कराने के लिए भी भक्तों का तांता लगा रहा. बाबा पर जलार्पण के बाद मुंडन और अन्य कर्म अनुष्ठान कराया. पट खुलने के साथ ही भक्तों की कतार क्यू कॉम्प्लेक्स तक पहुंच गयी थी. भीड़ में बिछुड़े हुए कई लोग मंदिर के कंट्रोल रूम पहुंच कर सूचना प्रसारण की सहायता लेते दिखे. एक छोटी बच्ची तो दिन के एक बजे से लेकर शाम के चार बजे तक परिजनों से बिछुड़ी रही. परिजन भी बच्चे की खोज के लिए मंदिर के आसपास घूमते हुए परेशान दिखे. स्थानीय पुरोहित और मंदिर थाने के जेएसआइ सुभाष रजक ने काफी खोजबीन करने के बाद शाम पांच बजे उसे परिजन से मिलाया.
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