देवघर : आदिवासी गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी, 255 घरों के लिए मात्र 10 शौचालय
गांव में जलापूर्ति योजना के नाम पर पाइप तो बिछी है और आज तक नल से जल गांव वालों को नहीं मिला. पालोजोरी प्रखंड के बिराजपुर पंचायत के पांडे मटेरिया गांव में सात घरों के पहाड़िया जनजाति के लोगों को भी सरकारी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं.
सारठ प्रखंड की मंझलाडीह पंचायत के आदिवासी बहुल गांव माथाटांड, जहां निवास करने वाले लगभग एक हजार लोगों को आज भी कई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. 255 घरों के इस गांव में पांच वर्षों पूर्व मात्र दस शौचालय का निर्माण कराया गया है, जो अब जीर्ण शीर्ण अवस्था मे पहुंच चुका है. गांव में 80 से 85 प्रतिशत घर आज भी मिट्टी व खप्परैल से बने हुए दिखते हैं. हालांकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में 34 लोगों को मछुवारा आवास आवंटित किया गया था. लेकिन कई आवास अर्धनिर्मित अवस्था में हैं. गांव में जलापूर्ति योजना के नाम पर पाइप तो बिछी है और आज तक नल से जल गांव वालों को नहीं मिला. गांव की गरीब महिला माला बेसरा, गोरकी माझियान, मोनोदि बेसरा, मति मुर्मू, अनिता मुर्मू, ललित मुर्मू बताती हैं कि वो खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं. गांव के लगभग 30 से 35 जॉब कार्डधारी मजदूर रोजगार के अभाव में दिल्ली, गुजरात केरल जा चुके है. ग्रामीणों ने बताया कि माथाटांड़ गांव में लगभग सात सौ मतदाता है. पंचायत के मुखिया मुन्ना मंडल ने बताया कि पिछले दो वर्षो में पांच बिरसा मुंडा सिचाई कूप की स्वीकृति मिली है, गांव में गांधी चबूतरा व पेवर्स ब्लॉक रोड की स्वीकृति दी गयी है, जो शीघ्र प्रारंभ होगा .
पहाड़िया परिवार सरकारी लाभ से वंचित, डीसी को भेजा शिकायत पत्र
झारखंड सरकार के आदिम जनजातियों के लिए बनायी गयी योजनाओं का लाभ इन्हें नहीं मिला रहा है. पालोजोरी प्रखंड के बिराजपुर पंचायत के पांडे मटेरिया गांव में सात घरों के पहाड़िया जनजाति के लोगों को भी सरकारी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. गांव में लगभग 40 से 50 पहाड़िया जनजाति के लोग निवास करते हैं. स्थिति यह है कि इस गांव में समंत्री देवी और रानी देवी के नाम से पीएच कार्ड है, इसी कार्ड में आठ से दस करके सदस्यों को जोड़ दिया गया है, जबकि गांव की पिंकी देवी, दिलीप पहड़िया, दुलारी देवी, मुनेश्वर पहड़िया, पिंकी देवी, विजय पहड़िया,तुलसी देवी, संजय पहड़िया का आज तक अंत्योदय कार्ड नहीं बन पाया है. आदिम जनजाति पेंशन योजना व आवास से भी सभी लोग वंचित है, जबकि नियमानुसार पहड़िया परिवार को 18 से 59 वर्ष के सदस्य को पेंशन देने का नियम है.
डाकिया योजना के लाभ से भी वंचित हैं पहड़िया
झारखंड सरकार ने डाकिया योजना चला रखी है, जिसके तहत प्रत्येक परिवार को 35 किलो चावल घर पर पहुंचाना है. इसका लाभ भी यहां के पहाड़िया परिवार को नहीं मिलता है. इस बीच पहाड़िया लोगों ने शिमला पंचायत के पंसस रघुनंदन सिंह को सुविधाएं नहीं मिलने की जानकारी दी और गांव बुलाकर अपनी समस्याएं बतायी हैं, जिसके बाद पंसस ने अपनी उपस्थिति में सभी परिवारों की ओर से एक शिकायत पत्र डीसी देवघर को भेजा. पंसस ने बताया कि सरकार के निर्देश के बावजूद पहाड़िया लोगों के गांवों में अधिकारी नहीं पहुंचते हैं, जिसके कारण कल्याणकारी योजना का लाभ इन परिवारों को नहीं मिलता है.