देवघर : संताल परगना के छह जिले में मनरेगा के प्रति मजदूरों का रूझान काफी कम हुआ है. या तो कतिपय कारणों से मजदूर काम नहीं करना चाहते हैं या इन्हें काम ही नहीं मिल पा रहा है, जबकि मनरेगा की योजना सभी जिले में चल रही है, इसे बंद कहीं भी नहीं किया गया है. आंकड़ों पर गौर करें तो प्रतीत होता है कि धीरे-धीरे मनरेगा मजदूर इस काम से विमुख होते जा रहे हैं. छह जिले में 38 लाख 21 हजार 863 मजदूर निबंधित हैं. इनमें से सिर्फ और सिर्फ 4 लाख 66 हजार 382 मजदूरों ने ही काम किया है. वहीं संताल परगना में मनरेगा की योजनाओं पर 652.87 करोड़ खर्च हुए हैं. इस वित्तीय वर्ष में 40.24 करोड़ मजदूरी बकाया है.
संताल परगना में देवघर जिले में 7 लाख 68 हजार 182 मजदूर मनरेगा के तहत निबंधित हैं. इनमें से 1.04 लाख मजदूरों ने ही काम किया. 6.63 लाख निबंधित मजदूरों ने निबंधन तो कराया पर काम नहीं किया. इन मजदूरों की क्या स्थिति यह समीक्षा का विषय है. देवघर में इस वित्तीय वर्ष में 1256 हाउस होल्ड को ही 100 दिनों का रोजगार मिल पाया है.
गोड्डा : मनरेगा में काम नहीं करना चाहते हैं मजदूर
गोड्डा जिले में भी मनरेगा मजदूरों की स्थिति ठीक नहीं है. निबंधित मजदूरों की तुलना में 10 प्रतिशत लोगों ने भी काम नहीं किया है. इस जिले के आंकड़े को देखें तो 7 लाख 38 हजार 523 मजदूरों का निबंधन है, जबकि मात्र 73 हजार 856 लोगों ने रोजगार पाया है. 31 से 40 वर्ष की उम्र के 1,99,722 मजदूरों में मात्र 20399 मजदूरों ने ही काम किया.वहीं 80 वर्ष से अधिक के 4615 बुजुर्गों में से 29 ने मनरेगा में मजदूरी की है.
मनरेगा की योजना में संताल परगना के छह जिले में 80 के 24091 मजदूरों का निबंधन है. इन बुजुर्ग मजदूरों में 711 ने मनरेगा में रोजगार पाया. सबसे अधिक 80 के 12296 मजदूर दुमका में निबंधित हैं. यहां 451 वृद्ध ने मनरेगा में काम किया है. वहीं गोड्डा में 4614, देवघर में 2632, जामताड़ा में 898, पाकुड़ में 1354 और साहिबगंज में 2296 वृद्ध मजदूर निबंधित हैं लेकिन इनमें से अधिकांश को रोजगार नहीं मिला.
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