देवघर : लघु सिंचाई विभाग से जिले में करीब चार करोड़ की लागत सात तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया है. इन तालाबों के मेढ़ पर बरसात से पहले टर्फिंग (घास लगाना) करना था, ताकि मेढ़ की मिट्टी के क्षरण को रोका जा सके. मिट्टी का क्षरण होने से मेढ़ के कमजोर होने की संभावना को देखते हुए घास की टर्फिंग बरसात से पहले ही करना थी, लेकिन बरसात से पहले टर्फिंग नहीं की गयी. अब सूखे के मौसम में मेढ़ पर टर्फिंग का काम किया जा रहा है. इस सूखे में मेढ़ पर घास लगाये जा रहे हैं. ऐसे मौसम में घास अब सूखने के कगार पर हो जाते हैं, तो लघु सिंचाई विभाग द्वारा तालाबों के मेढ़ पर घास लगवाना सवाल खड़े कर रहा है. विभाग के अनुसार, बरसात में मेढ़ पर घास लगाने से घास पूरी तरह मिट्टी को पकड़ सकता था. साथ ही बरसात में मेढ़ से मिट्टी के क्षरण को रोका जा सकता था. अब स्थिति यह हो गयी है कि कई तालाबों में बगैर टर्फिंग से बरसात में मेढ़ की मिट्टी बहकर वापस तालाब में जा रही है. इससे तालाब की गहराई भी मानक से कम हो गयी है. अब विभाग ने इसमें सख्ती दिखाते हुए सभी ठेकेदारों को निर्देश दिया है कि प्राक्कलन के अनुसार मेढ़ पर टर्फिंग करना है. टर्फिंग के बाद घास में नियमित रूप से पानी देना है. घास नया उगने के बाद ही भुगतान किया जायेगा. भुगतान से पहले जांच की जायेगी.
देवघर प्रखंड के अलखजोरा, छाेटा मानिकपुर. सोनारायठाढ़ी प्रखंड के धोरी, सारवां प्रखंड के नोखिला बांध व खास गंगा बांध, सारठ प्रखंड के फुलचुवां बांध व मोहनपुर प्रखंड के मलहारा बांध हैं. इसमें फुलचुवां व मलहारा में बड़े पैमाने पर बरसात में मेढ़ की मिट्टी का क्षरण भी हो गया है, हालांकि अभी तक योजनाएं अधूरी हैं.
लघु सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता का कहाना है कि तालाबों का टर्फिंग का काम बरसात से पहले अगर कर दिया जाता, तो घास बेहतर तरीके से मिट्टी को पकड़ सकता था. बारिश में घास तेजी से बढ़ भी जाता, लेकिन जिन तालाबों में टर्फिंग नहीं हो पायी है उससे संबंधित ठेकेदारों को सही तरीके से अब टर्फिंग करने का निर्देश दिया गया है. अभी मिट्टी में नमी है, इसलिए घास लगने की संभावना है. टर्फिंग करने के बाद नियमित रूप से घास में पानी देकर तैयार किया जा सकता है. टर्फिंग सही रहने पर ही जांच के बाद भुगतान किया जायेगा.