बीआइटी, देवघर में गुरुवार को ‘भारत में मौद्रिक नीति निर्धारण, वर्तमान विकास व चुनौती’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसमें आरबीआइ के मौद्रिक नीति विभाग की टीम शामिल हुई. कार्यक्रम की शुरुआत भारतीय रिजर्व बैंक, मुंबई के कार्यकारी निदेशक (मौद्रिक नीति विभाग) डॉ राजीव रंजन व संस्थान की निदेशक डॉ अरुणा जैन ने दीप प्रज्ज्वलित कर की. कार्यकारी निदेशक डॉ राजीव ने कहा कि मई, 2016 में आरबीआइ द्वारा छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति का गठन किया गया है, जो मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक नीति दर निर्धारित करता है. इसका उद्देश्य वर्तमान और विकसित व्यापक आर्थिक स्थिति के आकलन के लिए नीतिगत दर निर्धारित करना तथा रेपो दर पर व उसके आसपास मुद्रा बाजार दरों को स्थिर करने के लिए है. उन्होंने कहा कि, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया हमेशा से ही आरबीआइ अधिनियम की प्रस्तावना लागू होने के बाद से वित्तीय स्थिरता को उचित महत्व दे रहा है. बैंकों और गैर-बैंक वित्तीय मध्यस्थों के विनियमन और पर्यवेक्षण का कार्य रिजर्व बैंक के पास है और समय के साथ निर्धारित मानदंडों के अनुरूप है. हाल ही में, वित्तीय स्थिरता का ध्यान केवल विनियमन और पर्यवेक्षण तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि बैंक रहित और सेवारहित आबादी के लिए औपचाारिक वित्तीय प्रणाली की पहुंच बढ़ा रहा है. वित्तीय समावेशन के अलावा सुरक्षित, निर्बाध और वास्तविक समय में भुगतान और निबटान को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित है.
डॉ संगीता मिश्रा ने कहा कि भारत द्वारा मुद्रास्फीति दर चार फीसदी को लक्षित करते हुए हुए अपनाया गया है, जिसे मौद्रिक नीति निर्धारण में अधिक स्थिरता, पूर्वानुमान लगाना व पारदर्शिता के लिए जाना जाता है. नये सिरे से वित्तीय समावेशन और सुरक्षित भुगतान और निबटान पर ध्यान केंद्रित करने का उद्देश्य न केवल घरेलू वित्तीय प्रणाली में आम जनता के विश्वास को बढ़ावा देना है, बल्कि मूल्य स्थिरता, समावेशी विकास और वित्तीय स्थिरता के लिए मौद्रिक नीति की विश्वसनियता में सुधार करना है. वहीं डॉ सुनील कुमार ने जीडीपी विकास के आंकड़े प्रस्तुत किये. इस मौके पर डॉ पंकज कुमार, बीए तलवार, डॉ सुधीर कुमार, प्रो अरविंद कुमार, डॉ आरके लाल, डॉ आशीष चक्रवर्ती, डॉ अमित कुमार,डॉ रितेश उपाध्याय,निलेश राजलवाल, सुपाता मंडल, पायल भारद्वाज, मनोज गिरि, धर्मेन्द्र कुमार,महेंद्र दास,डॉ शशिश कुमार तिवारी आदि मौजूद थे.
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