Deoghar News: रिखियापीठ में 5 दिवसीय शतचंडी महायज्ञ की पूर्णाहुति सह सीता कल्याणम् शुक्रवार को होगा. सुबह में कन्या पूजन व भोज के साथ बसोधारा के जरिये शतचंडी महायज्ञ की पूर्णाहुति होगी. दोपहर में सीता कल्याणम् में श्री राम-सीता की प्रतिमूर्ति का विवाह होगा. 5 दिसंबर को परमहंस स्वामी सत्यानंद जी महासमाधि दिवस पर विशेष तौर पर स्वामी सत्यादंजी की गुरु पूजा की गयी.
आरती, फूल व प्रसाद चढ़ाने तक सीमित नहीं है भक्ति – निरंजनानंद
इस अवसर पर स्वामी निरंजनानंद जी ने कहा कि एक सच्चे भक्त को सिर्फ मंदिर में आरती, फूल व प्रसाद चढ़ाने तक सीमित नहीं होना चाहिए. भगवान से कोई कामना की और कामना पूरी होने पर नारियल व लड्डू चढ़ा दिया, तो यह भक्ति नहीं है. यह एक याचना है. भगवान भी ऐसी भक्ति की चाह नहीं रखते हैं. गीता के 12वें अध्याय में भक्ति उल्लेख है.
- रिखियापीठ में शतचंडी महायज्ञ की पूर्णाहुति और सीता कल्याणम् 6 को
- परमहंस स्वामी सत्यानंद जी के महासमाधि दिवस पर हुई विशेष पूजा
भक्ति को स्वामी सत्यानंद ने अपने जीवन में साकार किया
उन्होंने कहा कि भक्ति को परमहंस स्वामी सत्यानंद जी ने अपने जीवन में साकार किया है. स्वामी सत्यानंद जी ने भगवान की भक्ति समर्पण, सेवा, प्रेम व करुण के साथ किया है, उनकी भक्ति में दूसरों के प्रति सेवा रही है. उन्होंने अपनी सेवा में जाति का भेदभाव नहीं किया. गरीब व अमीर में कोई फर्क नहीं समझा. गरीब की कुटिया में भोजना करना पसंद करते थे. जाति व धर्म विशेष को लेकर कोई अनुचित कार्य नहीं किया.
सबमें ईश्वर हैं, इनकी सेवा ही ईश्वर की भक्ति – स्वामी सत्यानंद
उन्होंने कहा कि स्वामी सत्यानंद जी हमेशा कहते थे कि सबों में ईश्वर है और इनकी सेवा ही ईश्वर की भक्ति है. उन्होंने सबके लिए करुणा का भाव अपने मन में रखा. यही सेवा, प्रेम, समर्पण व करुणा की भक्ति रिखियापीठ में बह रही है. 30 वर्षों के दौरान स्वामी के संकल्पों को पूरा करने में स्वामी सत्संगीजी जी ने निष्ठा के साथ निभायी है.
स्वामी निरंजनानंद के सहयोग से सारे संकल्प पूरे हुए : सत्संगीजी
यज्ञ के दौरान रिखियापीठ की सेवा से जुड़े सहयोगी कार्तिक राव के बेटे गौरव व टेटु रवानी के पोते विशाल को ई-रिक्श दिया गया. साथ ही दर्जनों महिलाओं को सिलाई मशीन दी गयी. स्वामी सत्संगी जी ने कहा कि स्वामी सत्यानंद जी अपने शिष्य स्वामी निरंजन को एक उधार के रूप में छोड़ गये हैं. स्वामी निरंजनानंद रिखियापीठ के पिलर हैं. उनके बिना सेवा का संकल्प पूरा करना असंभव था. अनुष्ठान के दौरान रिखिया की कन्याओं ने नृत्य कर देवी मां की आराधना की.
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