आइएमए हॉल में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी तथा एम्स के चिकित्सा पदाधिकारी का दो दिवसीय प्रशिक्षण गुरुवार से शुरू हुआ. इसकी अध्यक्षता जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डॉ मनोज कुमार गुप्ता ने की. यह प्रशिक्षण राज्य स्तरीय प्रशिक्षक डॉ गौतम कुमार, डीएफआइटी स्टेट को-ऑर्डिनेटर व जिला स्तरीय प्रशिक्षक बलराम महतो, डीएफआइटी के जिला को-ऑर्डिनेटर ने दिया. उन्होंने कुष्ठ रोग के पहचान करने तथा उपचार के साथ कुष्ठ से दिव्यांगता के बचाव को लेकर जानकारी दी गयी. इसके अलावा उन्होंने कुष्ट रोगियों को शरीर का समुचित रखरखाव के साथ पैरों में चप्पल पहनने और आग से दूर रहने काे कहा. उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोग एक संक्रामक रोग है, जो बैक्टीरिया से होता है. मायक्रो बैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्ट्रीरिया के संक्रमण से होता है. उन्होंने कहा कि इसका असर त्वचा, तंत्रिका तंत्र तथा आंखों पर होता है. समय से जांच और इलाज से यह रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है. इसकी पहचान त्वचा पर लाल, गहरे या हल्के धब्बे उभरना, धब्बे वाले हिस्से का सुन्न होना, त्वचा के प्रभावित हिस्से से बाल झड़ना, हाथ, उंगली या पैर की अंगुलियों का सुन्न होना, आंखों की पलकें झपकाने में कमी आना है.
देवघर जिले में भी इस साल अबतक 18 मलेरिया मरीज मिले हैं. इनमें दो मरीज ब्रेन मलेरिया के शिकार थे. मलेरिया से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता के कारण मरीजों में बढ़ोतरी नहीं हुई है. विभाग के अनुसार, 2022 में 15 मलेरिया मरीज पाये गये थे, जिसमें सात मलेरिया व आठ ब्रेन मलेरिया के मरीज थे. जिला वीवीडी सलाहकार डॉ गणेश कुमार यादव ने बताया कि लोगों को मलेरिया से बचाव के लिए विभाग लगातार काम कर रहा है. सभी ग्रामीण क्षेत्रों में बुखार पीड़ित मरीजों की सैंपलिंग जांच करायी जा रही है. सिविल सर्जन डॉ रंजन सिन्हा ने कहा कि क्षेत्र में मलेरिया से बचाव को लेकर संदिग्ध इलाकों में मलेरिया से बचाव को लेकर छिड़काव कराया गया है. साथ ही लोगों को मलेरिया से बचाव को लेकर जागरूक भी किया जा रहा है.