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देवघर के प्लस टू स्कूलों में न ही शिक्षक हैं और न प्राचार्य, प्रभार के भरोसे चल रहा काम

देवघर के अपग्रेड प्लस टू स्कूलों में न ही शिक्षक है और न प्रचार्य. जिले में वर्तमान में 34 प्लस-2 स्कूल है. इनमें से किसी में भी प्रचार्य नहीं है.

देवघर : देवघर में हाईस्कूलों को अपग्रेड कर प्लस टू स्कूल बनाया जा रहा है. लेकिन अभी भी इन स्कूलों संसाधनों की भारी कमी है. इन स्कूलों में न ही जरुरत के मुताबिक शिक्षक हैं और न ही प्रचार्य. जानकारी के अनुसार वर्तमान में जिले में 34 प्लस-2 स्कूल हैं. लेकिन इनमें से किसी स्कूल में प्रचार्य नहीं हैं. शिक्षा कार्यालय की मानें तो जिले के आठ उत्क्रमित प्लस-2 स्कूलों में तो प्राचार्य ही नहीं, बल्कि किसी विषय के शिक्षकों का पद सृजित नहीं हुआ है. सभी जगह प्रभारी के भरोसे ही काम चल रहा है.

केवल देवघर जिला मुख्यालय स्थित आरमित्रा प्लस-2 स्कूल में ही प्राचार्य कार्यरत थे, किंतु कुछ महीने पूर्व वे भी सेवानिवृत्त हो गये. वर्तमान में आर मित्रा प्लस-2 स्कूल का प्रभार डीईओ के आदेश पर एक टीजीटी शिक्षक को दिलाया गया है. प्रचार्य तो छोड़िये कई स्कूलों में शिक्षक तक नहीं है. जानकारी के अनुसार 26 प्लस-2 स्कूलों में 287 शिक्षकों की जरूरत है, जहां आधे से भी कम शिक्षक कार्यरत हैं.

हाल ही में झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा प्लस-2 स्कूलों के संबंध में रिपोर्ट मांगी गयी, जिसे यहां डीइओ कार्यालय द्वारा प्रेषित भी कर दिया गया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, देवघर जिले के 26 प्लस-2 स्कूलों में 287 शिक्षकों की जरूरत है, जहां मात्र 133 ही कार्यरत हैं. अधिकतर स्कूलों में तो विषयवार शिक्षक ही नहीं हैं. ऐसे में उन स्कूलों के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे संभव है.

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अपग्रेड कर बना दिया गया प्लस-2 स्कूल, लेकिन विकसित नहीं किया गया संसाधन

देवघर के कई स्कूलों में अपग्रेड कर मध्य विद्यालय से हाइस्कूल व प्लस-2 स्कूल तक का दर्जा दे दिया गया है. लेकिन संसाधनों को उसके अनुरूप विकसित नहीं किया गया. पुराने भवन में ही 12वीं कक्षा तक के बच्चों की पढ़ाई हो रही है. उसका खमियाजा छात्रों के साथ शिक्षक भी भुगत रहे हैं. विद्यालय में आइसीटी लैब, वोकेशनल लैब, लेबोरेटरी, लाइब्रेरी सहित अन्य कार्यों के लिए कमरे उपलब्ध नहीं हैं. किसी प्रकार से इन कार्यों का निष्पादन किया जा रहा है. वहीं, शिक्षक बहाली नहीं होने के कारण बच्चों के पठन पाठन में दिक्कत हो रही है.

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