क्यों हुआ देवघर त्रिकूट रोप-वे हादसा ? रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
इंस्टीट्यूट ने टूटे हुए रिटर्न शाफ्टकी जांच में पाया गया कि शाफ्टबनाने में इस्तेमाल किये गये स्टील में हाइड्रोजन की मात्रा 5.62 पीपीएम (87% अधिक) थी, जबकि इसे 2-3 पीपीएम तक ही होना चाहिए था
शकील अख्तर, रांची:
रिटर्न शाफ्ट के स्टील में हाइड्रोजन की अधिक मात्रा, ग्रीस की कमी और टेंशन मैनेजमेंट सही नहीं होना त्रिकूट रोप-वे दुर्घटना का मुख्य कारण है. सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने दुर्घटना के कारणों की जांच के बाद रोप-वे दुर्घटना की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित समिति को भेजी गयी रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया है. समिति ने भविष्य में रोप-वे को शुरू करने से पहले सेफ्टी ऑडिट कराने और ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार जरूरी बदलाव करने की भी अनुशंसा की है, क्योंकि हादसे के बाद रोप-वे के बाकी उपकरणों के भी नुकसान होने की आशंका है.
रिपोर्ट में कहा गया कि रिटर्न शाफ्टटूटने की वजह से रोप-वे हादसा हुआ था. इंस्टीट्यूट ने टूटे हुए रिटर्न शाफ्टकी जांच में पाया गया कि शाफ्टबनाने में इस्तेमाल किये गये स्टील में हाइड्रोजन की मात्रा 5.62 पीपीएम (87% अधिक) थी, जबकि इसे 2-3 पीपीएम तक ही होना चाहिए था. हाइड्रोजन की मात्रा अधिक होने से शाफ्टमें परतें बनीं और दरार पैदा हुईं. वहीं, रोप-वे में लगे बियरिंग आदि में निर्धारित मानक के तहत ग्रीस का आयतन नौ होना चाहिए, जबकि यह सिर्फ 0.96 ही था. इससे बियरिंग, शाफ्टऔर अन्य उपकरणों में अत्यधिक घर्षण पैदा हुआ.
इसके अलावा रोपवे का टेंशन मैनेजमेंट भी सही नहीं था. इससे रिटर्न शाफ्टपर अत्यधिक दबाव पड़ा और वह टूट गया. रिटर्न शाफ्टके टूटने की वजह से ‘बुल ह्वील’ अपनी जगह से खिसक गया. इसी वक्त एक ट्रॉली अपर रिटर्न स्टेशन (यूटीपी) से लौट रही थी. वह रस्सी से छूट कर जमीन पर गिर गयी और बाकी ट्रॉलियां भारी कंपन के साथ रुक गयीं.
रोप-वे के ऑपरेशन और मेंटेनेंस पर भी उठाये गये सवाल :
समिति को सौंपी गयी रिपोर्ट में रोप-वे के ऑपरेशन और मेंटेनेंस पर भी सवाल उठाये गये हैं. कहा गया है आपरेशन में लगे लोग पूरी तरह प्रशिक्षित और दक्ष नहीं थे. रोप-वे के लिए निर्धारित बीआइएस मानकों का अनुपालन नहीं हुआ. रिपोर्ट में कहा गया है कि त्रिकूट रोप-वे के निर्माण के बाद बीआइएस मानक निर्धारित किये गये. इसलिए बाद में इस रोप-वे में बीआइएस मानकों को पूरा करने का फैसला किया गया, पर इसे पूरा नहीं किया गया.
दुर्घटना से पहले रोप-वे के शाफ्टकी जांच वर्ष 2016 में दो बार, वर्ष 2018, 2019 और वर्ष 2021 में एक-एक बार हुई थी, लेकिन किसी जांच रिपोर्ट में शाफ्टके स्टील में हाइड्रोजन की मात्रा अधिक होने या अन्य किसी तरह की खामियों का उल्लेख नहीं किया गया था. सिर्फ 2016 और 2018 की जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया था कि 100 प्रतिशत शाफ्टकी जांच नहीं की गयी है.
जांच समिति में शामिल थे ये अधिकारी :
हादसे की जांच के लिए राज्य सरकार ने समिति गठित की, जिसमें वित्त सचिव अजय कुमार सिंह, तत्कालीन सचिव अमिताभ कौशल, निदेशक खान सुरक्षा (मैकेनिकल) रत्नाकर सुनकी, नेशनल हाइवे ल़ॉजिस्टिक मैनेजमेंट के सहालकार(रोप-वे) एनसी श्रीवास्तव, आइएसएम धनबाद के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर कबीर दास गुप्ता शामिल थे. समिति ने सरकारी प्रयोगशाला से जांच कराने का फैसला किया था. समित ने मेटिरियल टेस्ट, मेटालोग्राफी, सरफेस डिफेक्ट टेस्ट, शाफ्टके फेल करने कारण व थ्रस्ट बियरिंग की जांच करायी.