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देवघर रोपवे हादसा: डर के साये के बीच कैसे बीती 32 लोगों की जिंदगी, रात भर सो नहीं पाये बच्चे

सुबह 6:30 बजे ही दो हेलीकॉप्टर रेस्क्यू ऑपरेशन में लग गयी थी. काफी प्रयास के बाद 32 लोगों की जिंदगी बचायी गयी. सभी लोगों की जिंदगी डर के साये में गुजरी, बच्चों का तो रो-रो कर बुरा हाल था

देवघर : सोमवार की सुबह 6:30 बजते ही वायुसेना का दो हेलीकॉप्टर त्रिकूट रोप-वे रेस्क्यू करने पहुंच गयी. पहले एक हेलीकॉप्टर से एक कमांडो ने रेस्क्यू करने ट्रॉली तक आने का प्रयास किया. करीब आधे घंटे तक यह प्रयास होता रहा, लेकिन कमांडो असफल रहे. उसके बाद कई बार हेलीकॉप्टर ट्रॉली तक पहुंचने का प्रयास किया, बावजूद तार व खंभे की वजह से ट्रॉली तक हेलीकॉप्टर नहीं पहुंच पा रहा था.

प्रयास असफल होने के बाद हेलीकॉप्टर वापस देवघर एयरपोर्ट चली गयी. इस दौरान देवघर एयरपोर्ट में हेलीकॉप्टर में फ्यूल लिया गया. वायुसेना के अधिकारियों की आपस में बैठक के बाद पूरी तैयारी के साथ करीब 11:25 बजे छोटा हेलीकॉप्टर आया, जिसके पंखे छोटे थे. इस हेलीकॉप्टर के माध्यम से एयर लिफ्टिंग चालू हुआ.

इससे पहले स्थानीय नागरिक के सहयोग से रस्सी व कुर्सी के जरिये 11 लोगों को ट्राॅली से निकाला जा चुका था. शाम छह बजे तक एयर लिफ्टिंग व मैनुअल तरीके से कुल 32 लोगों को ट्राॅलियों से निकाला गया. इस दौरान 20 से 24 घंटे तक 32 लोग लंबी रात व चिलचिलाती धूप में डर के साये में एक-एक पल बिताये. ट्रॉली नंबर आठ में तीन छोटे-छोटे बच्चों को दोपहर एक बजे निकाला गया.

इन बच्चों का 19 घंटे ट्रॉली में रोते-बिलखते गुजरा है. ये छोटे-छोटे बच्चे रात भर नहीं सो पाये. इसमें एक बच्ची डोली कुमारी पानी व भोजन के अभाव में नर्वस हो रही थी. बार-बार उनके परिजन पानी के लिए आवाज लगा रहे थे, उसके बाद पानी व बिस्कुट पहुंचाया गया. जैसे ही कुर्सी व रस्सी के साथ स्थानीय लोग ट्रॉली तक पहुंचते तो उनलोगों ने चैन की सांस ली. सोमवार को जिन 32 लोगों को बाहर निकाला गया, उसमें 17 पुरुष, 10 महिला व पांच बच्चे शामिल हैं. ये सारे लोग जब तक ट्रॉली में रहे तब तक जिंदगी-मौत से जूझते रहे.

हेलीकॉप्टर से भी पहले दिया गया भोजन व पानी :

वायुसेना के हेलीकॉप्टर से दोपहर 12 बजे से एक बजे तक ऊपर की कई ट्रॉलियों में रस्सी व बैग के सहारे पानी व बिस्कुट भेजा गया, कुछ देर बाद वायुसेना के कमांडर ने रेस्कयु शुरू किया. शुरुआत में हेलीकॉप्टर से एक-एक कर ट्रॉली से बाहर निकालकर घोरमारा के समीप मैदान में उतार रहे थे. दोपहर दो बजे के बाद कमांडर इसमें तेजी लाते हुए पहले ट्रॉली के अंदर गये एक साथ दो-दो लोग को ट्रॉली से बाहर एयर लिफ्टिंग शुरू किया.

दाे लोगों को घोरमारा के समीप हेलीपैड में पहुंचाने के बाद दोबारा उस ट्रॉली में शेष दो लोगों की एयर लिफ्टिंग की, उस दौरान कमांडो ट्रॉली पर ही रहे. सभी चार लोगों की एयर लिफ्टिंग होने के बाद ही कमांडो ने दूसरे ट्रॉली में जाना शुरू किया. इस तेज प्रक्रिया में तीन घंटे के दौरान 20 लोगों को ट्रॉली से निकाल लिया गया था व शाम पांच बजे के बाद दूसरा हेलीकॉप्टर से एयर लिफ्टिंग शुरू किया गया, लेकिन कुछ देर में ही अंधेरा छा गया तो ऑपरेशन रोक दिया गया.

वायुसेना के विमान ने 60 राउंड रेस्क्यू में लगाया चक्कर :

रेस्क्यू के दौरान वायुसेना का हेलीकॉप्टर करीब 60 दफा चक्कर त्रिकूट पहाड़, देवघर एयरपोर्ट व घोरमारा हेलीपैड तक लगाया. एक साथ इतने बड़े ऑपरेशन में हेलीकॉप्टर का आना-जाना आसपास के गांव ही नहीं, बल्कि पूरे देवघर शहर के लोगों की निगाहें टिकी हुई थी. हजारों की संख्या में लोगों वायुसेना के इस बड़े ऑपरेशन को अपनी आंखों से देखा, कई बार सफल के बाद लोग देश भक्ति के नारे भी लगा रहे थे.

हेलीपैड से उतारते ही पर्यटक को एंबुलेंस से भेज दिया गया : ट्रॉली से एयर लिफ्टिंग करने के बाद केवल दो पर्यटक को देवघर एयरपोर्ट में उतारा गया. शेष सभी लोगों को घोरमारा के समीप हेलीपैड में उतारे जाने के बाद एंबुलेंस से सीधे सदर अस्पताल भेजा गया. इस दौरान करीब एक दर्जन एंबुलेंस डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मौजूद थे. मैनुअल तरीके से निकाले गये सभी लोगों का रोप-वे के नीचे वाले स्टेशन में बीपी व ऑक्सीजन लेबल चेक किया जा रहा था. उस दौरान पर्यटकों को जूस भी दी जा रही थी.

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