देवघर : बेकार जलकुंभी को जामा के बेरोजगारों ने बनाया उपयोगी, विदेशों में भी प्रोडक्ट की मांग
जलकुंभी से निर्मित सारे प्रोडक्ट इको फ्रेंडली व घरेलू उपयोगी है. इको फ्रेंडली होने की वजह से जामा के इस गांव में निर्मित प्रोडक्ट का डिमांड विदेशों में भी हो रहा है.
अमरनाथ पोद्दार, देवघर : तालाबों के जल को प्रदूषित करने वाली जलकुंभी अब आजीविका का आधार बन रही है. दुमका जिले के जामा प्रखंड स्थित बैसा सहित आधे दर्जन गांव के बेरोजगारों ने इस जलकुंभी को रोजगार का जरिया बनाया है. जलकुंभी को निकालकर इसके लत व तने से घरेलू उपयोग के उत्पाद बनाने शुरू किये. पूरी तरह धूप में सूखाने के बाद जलकुंभी से शुरुआत में चटाई व टोकरी बनाकर आसपास की हाट में बेचना शुरू किया, इसकी जानकारी मिलने के बाद भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय की टीम एक निजी संस्था के माध्यम से इन हस्तशिल्पकारों तक पहुंची. इस इनोवेटिव हस्तशिल्प कला को प्रोत्साहित करने के लिए वस्त्र मंत्रालय के हस्तशिल्प सेवा केंद्र ने सबसे पहले कारीगरों के लिए एक कॉमन फैसिलिटी सेंटर का निर्माण कराया. सेंटर मिलने के बाद धीरे-धीरे जलकुंभी से जुड़े इन परिवारों को नये-नये डिजाइन में जलकुंभी के प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग दी गयी. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, दिल्ली के एक्सपर्ट ने इन कामगारों को तकनीकी ट्रेनिंग दी. अभी 350 परिवार जलकुंभी के रोजगार से जुड़ गये है. इसमें अधिकांश युवा व आदिवासी हैं. अब महिलाएं भी इस रोजगार में जुड़ गयी हैं. संताल परगना में साहिबगंज, पाकुड़ व दुमका जिले में कहीं भी तालाबों में जलकुंभी देखते हैं, तो ये कारीगर स्थानीय लोगाें से बात कर तालाब से जलकुंभी निकालकर अपने गांव लाते हैं. जामा के ये सभी कामगार करीब 20 तरह के जलकुंभी प्रोडक्ट तैयार रहे हैं. इसमें बासकेट, लंच मैट, डाली, मैट, टेबल मैट, पेन होल्डर व ट्रे होल्डर आदि शामिल हैं.
इको फ्रेंडली प्रोडक्ट की वजह से फिनलैंड व बैल्जियम से आया डिमांड
जलकुंभी से निर्मित सारे प्रोडक्ट इको फ्रेंडली व घरेलू उपयोगी है. इको फ्रेंडली होने की वजह से जामा के इस गांव में निर्मित प्रोडक्ट का डिमांड विदेशों में भी हो रहा है. वस्त्र मंत्रालय द्वारा इन कारीगरों को मार्केट भी उपलब्ध कराया जा रहा है. मंत्रालय में रजिस्टर्ड कई एक्सपोर्ट कंपनियों के जरिये जामा के गांवों में निर्मित जलकुंडी के प्रोडक्ट को फिनलैंड व बेल्जियम सहित यूरोप के कई देशों से डिमांड आया है. एक्सपोर्ट कंपनियां इन प्रोडक्ट को निर्यात करने की तैयारी में लग गयी है.
वर्ल्ड ट्रेड फेयर में जाने वाला पूर्वी भारत का पहला एक्सपोर्टर प्रोडक्ट
14 नवंबर से दिल्ली में आयोजित होने वाली वर्ल्ड ट्रेड फेयर में जामा प्रखंड के जलकुंभी के इस प्रोडक्ट को वस्त्र मंत्रालय की ओर से नि:शुल्क स्टॉल दिया गया है. वस्त्र मंत्रालय के अनुसार, पूर्वी भारत से वर्ल्ड ट्रेड फेयर में जाने वाला पहला एक्सपोर्टर प्रोडक्ट के रूप में जलकुंभी के उत्पाद का चयन किया गया है. हस्तकला का यह ऐसा है प्रोडक्ट है जो गांव से तैयार होकर सीधे विदेशों में एक्सपोर्ट होने वाला है.
दुमका जिले के जामा प्रखंड में बैसा सहित आसपास के इलाके में 350 हस्तशिल्पी जलकुंभी से लगभग 20 प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं. वस्त्र मंत्रालय के विकास आयुक्त हस्तशिल्प द्वारा यहां एक कॉमन फैसिलिटी सेंटर का निर्माण किया गया है. जलकुंभी से निर्मित गुणवत्तापूर्ण प्रोडक्ट का डिमांड अब विदेशों में भी हो रहा है. फिनलैंड व बेल्जियम सहित यूरोप के कई देशों से डिमांड आया है. इस वर्ष जलकुंभी से निर्मित प्रोडक्ट वर्ल्ड ट्रेड फेयर में जाने वाला पहला प्रोडक्ट है.
भूवन भाष्कर, सहायक निदेशक, हस्तशिल्प सेवा केंद्र, भारत सरकार
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